‘देशवासियों में बहती रहे एकता की धारा’: महाकुंभ के समापन पर PM मोदी का संदेश 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में संपन्न हुए महाकुंभ के सफल आयोजन पर देशवासियों को बधाई दी और इसे एकता और सद्भाव की भावना को मजबूत करने वाला बताया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस विशाल धार्मिक आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।

अपने संदेश में, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी जीवंत उदाहरण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुंभ मेला सदियों से लोगों को एक साथ लाता रहा है, जिससे उनके बीच प्रेम, भाईचारे और सद्भाव की भावना मजबूत होती है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि महाकुंभ में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं, विभिन्न भाषाएं बोलते हैं, अलग-अलग रीति-रिवाजों का पालन करते हैं, लेकिन एक ही भावना से जुड़े होते हैं – मानवता की सेवा और ईश्वर के प्रति समर्पण। यह विविधता में एकता का एक अद्भुत प्रदर्शन है, जो भारत की ताकत और गौरव का प्रतीक है।
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि इस वर्ष का महाकुंभ विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि इसे कोविड-19 महामारी के बीच आयोजित किया गया था। उन्होंने आयोजन में शामिल सभी लोगों, अधिकारियों, स्वयंसेवकों और श्रद्धालुओं की सराहना की, जिन्होंने महामारी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इस आयोजन को सुरक्षित और सफल बनाने में योगदान दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि महाकुंभ से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा और एकता की भावना देशवासियों में हमेशा बनी रहे। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने दैनिक जीवन में प्रेम, सद्भाव और भाईचारे के मूल्यों को बढ़ावा दें।
उन्होंने कहा कि भारत एक महान राष्ट्र है, और इसकी महानता इसकी विविधता में एकता में निहित है। उन्होंने लोगों से एक साथ मिलकर काम करने और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान किया।

अपने संदेश के अंत में, प्रधानमंत्री मोदी ने सभी देशवासियों के कल्याण और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारत अपनी एकता और सद्भाव की भावना के साथ, हर चुनौती का सामना करने और एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करने में सक्षम होगा।
महाकुंभ का महत्व:
महाकुंभ एक विशाल धार्मिक मेला है जो हर 12 साल में चार अलग-अलग स्थानों पर आयोजित किया जाता है: प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), हरिद्वार (उत्तराखंड), नासिक (महाराष्ट्र), और उज्जैन (मध्य प्रदेश)। यह दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण धार्मिक जमावड़ा है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते हैं।
महाकुंभ का आयोजन ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर किया जाता है, जो यह निर्धारित करते हैं कि कौन सा स्थान और समय सबसे शुभ है। यह माना जाता है कि इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की संस्कृति, कला और परंपराओं का भी प्रदर्शन है। मेले में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें संगीत, नृत्य, नाटक और प्रदर्शनी शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण:
प्रधानमंत्री मोदी हमेशा से ही भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और देश की एकता और सद्भाव को मजबूत करने के लिए प्रयासरत रहे हैं। उन्होंने कई अवसरों पर महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश डाला है और इसे भारत की महान सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक बताया है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी जीवंत उदाहरण है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे इस आयोजन से मिलने वाली सकारात्मक ऊर्जा और एकता की भावना को अपने दैनिक जीवन में बनाए रखें।
प्रधानमंत्री मोदी का मानना है कि भारत एक महान राष्ट्र है, और इसकी महानता इसकी विविधता में एकता में निहित है। उन्होंने लोगों से एक साथ मिलकर काम करने और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आह्वान किया है।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी का महाकुंभ के समापन पर दिया गया संदेश एकता, सद्भाव और भाईचारे के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया है कि वे इन मूल्यों को अपने दैनिक जीवन में बढ़ावा दें और देश को एक साथ मिलकर आगे बढ़ाएं। उनका यह संदेश भारत की सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक विरासत के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को भी दर्शाता है। यह आशा की जाती है कि देशवासी प्रधानमंत्री के इस संदेश से प्रेरणा लेंगे और भारत को एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाने में अपना योगदान देंगे।