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Bihar Elections की तैयारी या रणनीति का हिस्सा? गुजरात में जुटे कांग्रेस नेता, जानिए वजह 2025

Bihar Elections की तैयारी या रणनीति का हिस्सा? गुजरात में जुटे कांग्रेस नेता, जानिए वजह

जैसे-जैसे Bihar Elections 2025 नजदीक आ रहे हैं, देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी का एक ऐसा कदम सामने आया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज कर दी है।Bihar Elections से पहले गुजरात में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं का एकत्रित होना कई सवाल खड़े कर रहा है। यह सिर्फ एक साधारण बैठक थी या इसके पीछे कोई बड़ी रणनीति छिपी है?

इस बैठक में कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल, गुजरात कांग्रेस प्रभारी, और अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति ने इसे और भी अहम बना दिया। लेकिन सबसे ज़्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि Bihar Elections से पहले गुजरात में बैठक करने का क्या मकसद था? और क्या यह सिर्फ संगठनात्मक समीक्षा भर थी, या बिहार के लिए कोई खास रणनीति तैयार की जा रही है?


गुजरात में कांग्रेस की बड़ी बैठक: क्या था एजेंडा?

अहमदाबाद में हुई इस बैठक को लेकर कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि यह एक “संगठनात्मक समीक्षा बैठक” थी, जिसका उद्देश्य गुजरात में पार्टी के ढांचे को मज़बूत करना और आने वाले लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाना था।

लेकिन सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पार्टी की स्थिति और गठबंधन पर भी चर्चा हुई। यही वजह है कि इस बैठक को सिर्फ गुजरात तक सीमित न मानकर एक बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।


Bihar Elections में कांग्रेस की स्थिति: खोई जमीन वापस पाने की कोशिश

Bihar Elections की राजनीति में कांग्रेस का एक समय पर दबदबा हुआ करता था। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर शुरुआती दशकों तक कांग्रेस ने राज्य की सत्ता पर लंबा समय तक राज किया। लेकिन जैसे-जैसे क्षेत्रीय दलों का उदय हुआ, कांग्रेस का जनाधार बिहार में धीरे-धीरे कमजोर होता गया। खासकर 1990 के बाद, जब सामाजिक समीकरणों ने राजनीतिक दिशा बदली, तब कांग्रेस को पीछे हटना पड़ा।

वर्तमान में कांग्रेस, Bihar Elections में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और वाम दलों के साथ महागठबंधन का हिस्सा है। 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को महागठबंधन के अंतर्गत 70 सीटें लड़ने का मौका मिला था, लेकिन वह केवल 19 सीटें ही जीत पाई। यह प्रदर्शन पार्टी के लिए संतोषजनक नहीं रहा और इसके बाद से ही कांग्रेस नेतृत्व आत्ममंथन और पुनर्गठन की प्रक्रिया में जुटा है।

अब कांग्रेस की रणनीति सिर्फ सीटों की मांग पर आधारित नहीं है, बल्कि वह अपने संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कोशिश कर रही है। पार्टी की नजर अब न केवल गठबंधन में सम्मानजनक भूमिका निभाने पर है, बल्कि वह चाहती है कि वह खुद को राज्य में एक प्रभावी राजनीतिक विकल्प के रूप में फिर से स्थापित करे।

इस प्रयास में युवाओं को जोड़ने, बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने और जमीनी मुद्दों पर संघर्ष को प्राथमिकता दी जा रही है। कांग्रेस का लक्ष्य है कि वह Bihar Elections की खोई हुई राजनीतिक जमीन को दोबारा हासिल करे और राज्य की राजनीति में एक बार फिर से मजबूत उपस्थिति दर्ज करे।


गुजरात में बैठक क्यों?

Bihar Elections की तैयारियों के बीच कांग्रेस नेताओं का गुजरात में जुटना कई लोगों को चौंका गया। आखिर एक पूर्वी राज्य के चुनाव की रणनीति के लिए पार्टी नेताओं को पश्चिमी भारत के गुजरात में क्यों इकट्ठा होना पड़ा? इस सवाल का जवाब कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने साफ और दिलचस्प अंदाज़ में दिया।

उन्होंने कहा कि यह बैठक सिर्फ गुजरात तक सीमित नहीं थी, बल्कि कांग्रेस की राष्ट्रीय संगठनात्मक रणनीति का हिस्सा थी। पार्टी अब केवल राज्यवार राजनीति नहीं कर रही, बल्कि राष्ट्रीय समन्वय नीति के तहत आगे बढ़ रही है। उनका मानना है कि Bihar Elections इस बड़ी योजना का सिर्फ एक हिस्सा है, और गुजरात में नेताओं की यह बैठक एक व्यापक रणनीति का संकेत है, जिसमें कई राज्यों के चुनावों को एक साथ जोड़कर देखा जा रहा है।

इस बयान से स्पष्ट है कि कांग्रेस अब अपनी पारंपरिक कार्यशैली से बाहर निकलकर, एकीकृत और समग्र दृष्टिकोण के साथ चुनावों की तैयारी कर रही है। यह पार्टी के भीतर नई राजनीतिक सोच और रणनीतिक एकता का प्रतीक माना जा सकता है।कांग्रेस अब अपनी बैठकों और रणनीतियों को राज्य की सीमाओं से परे ले जाकर समग्र राष्ट्रीय दृष्टिकोण के तहत देख रही है।

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