Amarnath Yatra 2025: कब शुरू होगी अमरनाथ यात्रा? जानिए इसका धार्मिक महत्व
भारत में हिंदू धर्म की परंपराएं गहराई से जुड़ी हुई हैं और इसी आस्था का प्रतीक है Amarnath Yatra। यह यात्रा हर वर्ष हजारों-लाखों श्रद्धालुओं को भगवान शिव के पावन दर्शन के लिए जम्मू-कश्मीर की बर्फीली वादियों तक खींच लाती है। वर्ष 2025 की अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगी, जो रक्षाबंधन के दिन समाप्त होगी। यह यात्रा ना सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि साहस, भक्ति और आत्मिक चेतना की मिसाल भी है।

धार्मिक महत्व: Amarnath Yatra गुफा और अमर कथा की पौराणिकता
अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में समुद्र तल से लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा भगवान शिव के पवित्र निवास स्थल के रूप में मानी जाती है। गुफा के भीतर हर साल प्राकृतिक रूप से बनने वाला बर्फ का शिवलिंग करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता है। इस शिवलिंग का आकार चंद्रमा के घटने-बढ़ने के अनुसार बदलता है, जो इसे और भी रहस्यमयी बनाता है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने इस गुफा में देवी पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी, जिसे “अमर कथा” कहा जाता है। यह कथा आत्मा की अमरता, जीवन-मरण के चक्र और मोक्ष के रहस्य को उजागर करती है। शिवजी ने इस कथा को इतने गोपनीय तरीके से सुनाया था कि उन्होंने अपने वाहन नंदी, पांचों तत्वों और यहां तक कि अपने त्रिशूल और चंद्रमा तक को भी अलग कर दिया था, ताकि यह रहस्य केवल पार्वती तक ही सीमित रहे।
इस अमर कथा की गूढ़ता और इस स्थल की पवित्रता के कारण, अमरनाथ यात्रा को “मोक्ष यात्रा” भी कहा जाता है।
यात्रा के प्रमुख मार्ग: पहलगाम और बालटाल
Amarnath Yatra दो प्रमुख मार्गों से की जाती है:
1. पहलगाम मार्ग
यह सबसे पारंपरिक और लोकप्रिय मार्ग है, जो अनंतनाग जिले के पहलगाम से शुरू होकर चंदनवाड़ी, शेषनाग, पंचतरनी होते हुए Amarnath Yatra गुफा तक जाता है। यह मार्ग लगभग 46 किलोमीटर लंबा होता है और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यद्यपि यह रास्ता लंबा है, लेकिन यह तुलनात्मक रूप से आसान माना जाता है और अधिकांश श्रद्धालु इसी मार्ग को चुनते हैं।
2. बालटाल मार्ग
यह मार्ग गांदरबल जिले के बालटाल से शुरू होता है और मात्र 14 किलोमीटर लंबा है, लेकिन इसमें चढ़ाई अधिक कठिन होती है। जो यात्री कम समय में Amarnath Yatra पूरी करना चाहते हैं, वे इस मार्ग का चयन करते हैं। हालांकि, यह मार्ग चुनौतीपूर्ण है और शारीरिक रूप से ज्यादा सक्षम श्रद्धालुओं के लिए उपयुक्त माना जाता है।
यात्रा के लिए पंजीकरण और सुरक्षा व्यवस्था

Amarnath Yatra के लिए पंजीकरण 17 अप्रैल 2025 से शुरू हो चुका है। यह पंजीकरण विभिन्न बैंकों और ऑनलाइन पोर्टल्स के माध्यम से किया जा सकता है। यात्रा के दौरान प्रतिदिन केवल 10,000 यात्रियों को यात्रा की अनुमति दी जाती है — जिसमें 7,000 पहलगाम मार्ग और 3,000 बालटाल मार्ग से होते हैं।
हर यात्री को Amarnath Yatra से पहले स्वास्थ्य जांच करवानी होती है और “Compulsory Health Certificate” (CHC) प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। इसके अतिरिक्त, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा पूरे मार्ग में सुरक्षा, स्वास्थ्य केंद्र, भोजन व्यवस्था और विश्राम स्थलों की उचित व्यवस्था की जाती है।
तैयारी और सावधानियां
Amarnath Yatra एक कठिन और ऊंचाई वाली धार्मिक यात्रा है, जो समुद्र तल से लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा तक ले जाती है। इस यात्रा में ठंडी हवाएं, ऑक्सीजन की कमी और पथरीले रास्तों से गुजरना पड़ता है। इसलिए इस Amarnath Yatra के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना अत्यंत आवश्यक है।
यात्रा की तैयारी कम से कम दो से तीन महीने पहले शुरू कर देनी चाहिए। इसके लिए नियमित रूप से सुबह-शाम वॉक, योग, प्राणायाम और हल्की दौड़ जैसी शारीरिक गतिविधियों को अपनाना जरूरी है ताकि शरीर ऊंचाई पर भी सामंजस्य बिठा सके। इसके अलावा, डॉक्टर से हेल्थ चेकअप कराना और मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है, क्योंकि बिना इसके यात्रा की अनुमति नहीं मिलती।

सावधानियों के तौर पर यात्रियों को गर्म कपड़े, रेनकोट, अच्छे ग्रिप वाले जूते, प्राथमिक चिकित्सा किट, टॉर्च, पावर बैंक और जरूरी दवाइयों के साथ यात्रा करनी चाहिए। साथ ही, मौसम की स्थिति को देखते हुए यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है। इससे यात्रा सुरक्षित और सफल बनती है।
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