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ब्लॉकबस्टर ‘कुछ कुछ होता है’: जेंडर पॉलिटिक्स पर करण जौहर का पश्चाताप 2025

ब्लॉकबस्टर ‘कुछ कुछ होता है’: जेंडर पॉलिटिक्स पर करण जौहर का पश्चाताप

करण जौहर की 1998 में आई फिल्म “कुछ कुछ होता है” भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह फिल्म न केवल बॉक्स ऑफिस पर सफल रही, बल्कि इसने युवाओं के बीच प्यार, दोस्ती और रिश्तों की एक नई परिभाषा भी दी। हालांकि, समय के साथ, फिल्म की कुछ बातों पर सवाल उठने लगे हैं, खासकर इसकी जेंडर पॉलिटिक्स को लेकर। हाल ही में एक इंटरव्यू में, करण जौहर ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि फिल्म बनाते समय उनका ध्यान सिर्फ एक ब्लॉकबस्टर बनाने पर था और उन्होंने जेंडर पॉलिटिक्स पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

फिल्म की कहानी और लोकप्रियता:

“कुछ कुछ होता है” की कहानी राहुल, अंजलि और टीना के इर्द-गिर्द घूमती है। राहुल और अंजलि कॉलेज के सबसे अच्छे दोस्त हैं, लेकिन राहुल को टीना से प्यार हो जाता है और वे शादी कर लेते हैं। टीना की मौत के बाद, राहुल अपनी बेटी अंजलि को पालता है और उसे अपनी मां की एक चिट्ठी मिलती है जिसमें लिखा होता है कि राहुल को अंजलि (कॉलेज वाली) से प्यार करना चाहिए। फिल्म में प्यार, दोस्ती, त्याग और पुनर्मिलन के विषयों को दर्शाया गया है, जो दर्शकों को बहुत पसंद आया।

फिल्म की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी और इसे कई पुरस्कार भी मिले। फिल्म के गाने आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं और इसके डायलॉग भी खूब मशहूर हुए।

जेंडर पॉलिटिक्स पर सवाल:

हालांकि “कुछ कुछ होता है” एक लोकप्रिय फिल्म है, लेकिन इसकी जेंडर पॉलिटिक्स पर कई सवाल उठाए गए हैं। फिल्म में अंजलि के किरदार को एक टॉमबॉय के रूप में दिखाया गया है जो राहुल से प्यार करती है। लेकिन जब राहुल टीना से प्यार करता है, तो अंजलि को यह अहसास होता है कि उसे “लड़की” बनने की जरूरत है ताकि राहुल उसे पसंद करे। फिल्म में यह संदेश दिया गया है कि प्यार पाने के लिए महिलाओं को बदलना पड़ता है।

कुछ कुछ होता है: एक युग की पहचान, जेंडर पॉलिटिक्स और आज का परिप्रेक्ष्य

1998 में रिलीज हुई करण जौहर की निर्देशित फिल्म “कुछ कुछ होता है” भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह फिल्म न केवल बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी सफलता थी, बल्कि इसने उस समय के युवा दर्शकों के बीच प्यार, दोस्ती और रिश्तों की एक नई परिभाषा स्थापित की। शाहरुख खान, काजोल और रानी मुखर्जी जैसे सितारों से सजी यह फिल्म अपनी मनोरंजक कहानी, यादगार संगीत और शानदार प्रदर्शन के लिए जानी जाती है।

हालांकि, समय के साथ, “कुछ कुछ होता है” को जेंडर पॉलिटिक्स और कुछ रूढ़िवादी संदेशों को बढ़ावा देने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। हाल ही में एक साक्षात्कार में, करण जौहर ने स्वयं स्वीकार किया कि फिल्म बनाते समय उनका मुख्य ध्यान एक ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाने पर था, और उन्होंने जेंडर पॉलिटिक्स पर उतना ध्यान नहीं दिया जितना उन्हें देना चाहिए था।

जेंडर पॉलिटिक्स पर आलोचना और विश्लेषण:

हालांकि “कुछ कुछ होता है” एक लोकप्रिय और मनोरंजक फिल्म है, लेकिन इसे जेंडर पॉलिटिक्स के दृष्टिकोण से आलोचना का सामना करना पड़ा है। फिल्म में अंजलि के किरदार को एक टॉमबॉय के रूप में चित्रित किया गया है, जो राहुल से प्यार करती है। लेकिन जब राहुल टीना से प्यार करता है, तो अंजलि को यह अहसास होता है कि उसे “लड़की” बनने की जरूरत है ताकि राहुल उसे पसंद करे।

इस चित्रण के कारण फिल्म पर यह आरोप लगाया गया है कि यह इस संदेश को बढ़ावा देती है कि प्यार पाने के लिए महिलाओं को बदलना पड़ता है। आलोचकों का कहना है कि फिल्म यह दिखाती है कि एक महिला को आकर्षक और वांछनीय बनने के लिए कुछ विशेष गुणों का पालन करना चाहिए, जैसे कि सुंदर दिखना, अच्छी तरह से कपड़े पहनना और “लड़की” की तरह व्यवहार करना।

इसके अलावा, फिल्म में टीना के किरदार को भी सतही और आदर्शवादी दिखाया गया है। वह सुंदर, सुशील और संस्कारी है, लेकिन उसमें कोई गहराई नहीं है। फिल्म में यह संदेश दिया गया है कि अच्छी लड़की बनने के लिए महिलाओं को कुछ खास गुणों का पालन करना चाहिए। आलोचकों का कहना है कि यह चित्रण महिलाओं को रूढ़िवादी भूमिकाओं में बांधता है और उन्हें अपनी पहचान और व्यक्तित्व को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने से रोकता है।

करण जौहर का स्पष्टीकरण और पश्चाताप:

हाल ही में एक इंटरव्यू में, करण जौहर ने “कुछ कुछ होता है” की जेंडर पॉलिटिक्स पर बात करते हुए कहा कि फिल्म बनाते समय उनका ध्यान सिर्फ एक ब्लॉकबस्टर बनाने पर था। उन्होंने कहा कि वह उस समय युवा थे और उन्होंने जेंडर पॉलिटिक्स पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर वह आज यह फिल्म बनाते, तो वह कुछ चीजों को जरूर बदलते।

करण जौहर ने कहा कि वह फिल्म में अंजलि के किरदार को ज्यादा मजबूत और आत्मनिर्भर दिखाना चाहते थे। उन्होंने यह भी कहा कि वह टीना के किरदार को भी ज्यादा गहराई देना चाहते थे। उन्होंने स्वीकार किया कि फिल्म में महिलाओं को जिस तरह से चित्रित किया गया है, वह आज के समय में स्वीकार्य नहीं है।

करण जौहर का यह स्पष्टीकरण और पश्चाताप स्वागत योग्य है। यह दर्शाता है कि वह फिल्म की जेंडर पॉलिटिक्स की आलोचना को गंभीरता से लेते हैं और भविष्य में बेहतर फिल्में बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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