Waqf Law पर उठे सवालों पर बोले मुख्तार अब्बास नकवी: ‘न धर्म को नुकसान, न धार्मिक स्थलों को’
हाल के दिनों में वक्फ कानून (Waqf Law) को लेकर देशभर में गहन बहस छिड़ गई है। सामाजिक संगठनों, धार्मिक समूहों और राजनीतिक दलों के बीच इस कानून को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं। वक्फ संपत्तियों के स्वामित्व, नियंत्रण और उनके प्रबंधन को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इन विवादों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वक्फ कानून से न तो किसी धर्म को खतरा है, न ही किसी धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

नकवी का बयान: अफवाहें बेबुनियाद हैं
मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा किWaqf Law कानून को लेकर जो बातें सोशल मीडिया और कुछ राजनीतिक मंचों पर फैलाई जा रही हैं, वे पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन हैं। उन्होंने कहा, “इस कानून से न धर्म को नुकसान है और न ही धार्मिक स्थलों को। यह एक प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्था है, जिसे पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ लागू किया जाता है।” नकवी ने लोगों से अपील की कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और तथ्यों को समझें।
आखिर Waqf Law कानून है क्या?
Waqf Law एक इस्लामिक अवधारणा है, जिसके तहत कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक, सामाजिक या परोपकारी कार्यों के लिए समर्पित करता है। भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और सुरक्षा के लिए वक्फ अधिनियम (Waqf Act) लागू है। इसकी शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई थी, लेकिन इसे 1954 में और बाद में 1995 में दोबारा व्यवस्थित किया गया। वर्तमान में वक्फ बोर्ड, जो एक स्वायत्त संस्था होती है, इन संपत्तियों की निगरानी करता है।
किस तरह की होती हैं Waqf Law संपत्तियां?
Waqf Law संपत्तियां कई प्रकार की हो सकती हैं — जैसे मस्जिदें, दरगाहें, कब्रिस्तान, मदरसे, और अन्य धार्मिक या सामाजिक संस्थान। यह संपत्तियां Waqf Law बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत होती हैं और इनका उपयोग केवल धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि इनका दुरुपयोग न हो और न ही इन्हें किसी व्यावसायिक या निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जाए।

Waqf Law कानून पर उठते सवाल
हाल के वर्षों में वक्फ संपत्तियों के बढ़ते दायरे और इनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि वक्फ कानून एक विशेष समुदाय को अन्य समुदायों की तुलना में अधिक लाभ पहुंचाता है। इसके अलावा, कई जगहों पर यह भी आरोप लगे हैं कि Waqf Law संपत्तियों पर गैरकानूनी कब्जा हो रहा है और वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी है।
विपक्ष का आरोप
कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन वक्फ कानून में संशोधन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस कानून में कई खामियां हैं और यह संविधान में समानता के सिद्धांत के खिलाफ है। कुछ आलोचक यह भी कहते हैं कि वक्फ बोर्ड के पास इतनी संपत्ति और अधिकार हैं, जबकि अन्य धर्मों या संगठनों को ऐसा कोई कानूनी संरक्षण प्राप्त नहीं है।
नकवी की सफाई
मुख्तार अब्बास नकवी ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि “वक्फ कानून देश के संविधान और न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत आता है। इसकी प्रक्रिया पारदर्शी है और कोई भी व्यक्ति या संस्था कानूनी रूप से इसकी जांच करा सकती है।” उन्होंने आगे कहा कि किसी भी समुदाय को डराने या भड़काने का प्रयास देश की गंगा-जमुनी तहजीब के खिलाफ है।
क्या बदलाव की जरूरत है?
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि वक्फ कानून में समय-समय पर सुधार की आवश्यकता हो सकती है ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़े। यदि किसी संपत्ति को लेकर विवाद है तो उसे न्यायिक प्रणाली के माध्यम से सुलझाया जा सकता है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड को भी अपनी कार्यप्रणाली को आधुनिक तकनीक से जोड़ना चाहिए ताकि संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जा सके और किसी भी प्रकार की अनियमितता रोकी जा सके।

निष्कर्ष
वक्फ कानून पर चल रही बहस का समाधान केवल कानूनी और संवैधानिक ढांचे में ही संभव है। अफवाहें, डर और भ्रामक प्रचार से बचते हुए जरूरी है कि सभी पक्ष इस विषय पर तथ्य आधारित चर्चा करें। मुख्तार अब्बास नकवी का यह बयान निश्चित रूप से एक सशक्त प्रयास है जिससे लोगों में विश्वास बहाल किया जा सके कि यह कानून किसी धर्म या धार्मिक स्थल के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक प्रबंधकीय व्यवस्था है जिसे बेहतर बनाने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन उसकी मूल भावना को गलत ठहराना उचित नहीं है।