Punjab के पूर्व CM ने सर्जिकल स्ट्राइक पर उठाए सवाल, मांगा सबूत, बोले- ‘हमला पाकिस्तान में कहां हुआ था?’
के पूर्व CM ने सर्जिकल स्ट्राइक पर उठाए सवाल, मांगा सबूत, बोले- ‘हमला पाकिस्तान में कहां हुआ था?’

चंडीगढ़/नई दिल्ली: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य अभियानों से जुड़े संवेदनशील मुद्दे पर एक बार फिर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। पंजाब के एक पूर्व मुख्यमंत्री (संभवतः चरणजीत सिंह चन्नी, हालांकि बयान देने वाले नेता का नाम स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना महत्वपूर्ण है) ने केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ किए गए सर्जिकल स्ट्राइक की प्रामाणigkeit पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने न केवल इन ऑपरेशनों का सबूत मांगा है, बल्कि एक बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए पूछा है कि “हमला पाकिस्तान में कहां हुआ था?” उनका यह बयान कि “बम गिरेगा तो पता चलेगा ना” राजनीतिक हलकों में और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है, जिससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
क्या कहा पूर्व मुख्यमंत्री ने?
रिपोर्ट्स के अनुसार,Punjab के पूर्व मुख्यमंत्री ने हाल ही में एक सार्वजनिक सभा या प्रेस वार्ता के दौरान यह विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार बड़े-बड़े दावे तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और होती है। सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्रPunjab करते हुए उन्होंने कहा, “वे कहते हैं हमने पाकिस्तान में हमला किया। कहां किया हमला? कोई सबूत है? अगर सच में बम गिराए होते, जैसे पहले युद्धों में होता था, तो क्या पाकिस्तान को या दुनिया को पता नहीं चलता? बम गिरेगा तो पता चलेगा ना।”
उनके इस बयान का सीधा निशाना 2016 में उरी हमले के बाद नियंत्रण रेखा (LoC) के पार भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक और विशेष रूप से 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारतीय वायु सेना द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर की गई एयर स्ट्राइक पर था। इन दोनों ऑपरेशनों को तत्कालीन एनडीए सरकार ने अपनी बड़ी कूटनीतिक और सैन्य सफलता के रूप में पेश किया था Punjab और इसे आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति का प्रमाण बताया था
बयान के राजनीतिक मायने और विवाद:
पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण और विवादास्पद है:

- राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल: यह सीधे तौर पर देश के सैन्य अभियानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक को भारतीय सेना और वायुसेना के शौर्य और क्षमता के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। इन पर संदेह जताना सेना के मनोबल को प्रभावित Punjab कर सकता है और देश की सुरक्षा नीति पर अनावश्यक बहस छेड़ सकता है।
- राजनीतिक मंशा: आलोचकों का मानना है कियह बयान पूरी तरह से राजनीतिक है। अक्सर विपक्षी दल भाजपा पर सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करने और चुनावी लाभ लेने का आरोप लगाते रहे हैं। संभवतः पूर्व मुख्यमंत्री का बयान भी इसी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भाजपा के राष्ट्रवाद और मजबूत नेतृत्व के दावे को कमजोर करना है।
- सबूत की मांग: सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही कुछ विपक्षी नेताओं और वर्गों द्वारा सबूतों की मांग की जाती रही है। सरकार ने ऑपरेशन की संवेदनशीलता Punjab और राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए सीमित जानकारी और कुछ सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं, लेकिन विस्तृत सबूत सार्वजनिक नहीं किए थे। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मांग को फिर से हवा दे दी है।
- बयान का लहजा: “बम गिरेगा तो पता चलेगा ना” जैसी टिप्पणी को बेहद आपत्तिजनक और गैर-जिम्मेदाराना माना जा रहा है। यह न केवल सैन्य अभियानों की गंभीरता को कम करता है, बल्कि एक तरह से पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता प्रतीत होता है, जो लगातार इन स्ट्राइक्स के प्रभाव को नकारता रहा है।
पृष्ठभूमि: सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक
भाजपा और अन्य वर्गों की प्रतिक्रिया:
पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।Punjab भाजपा नेताओं ने इसे सेना का अपमान, राष्ट्र विरोधी बयान और कांग्रेस (या संबंधित पार्टी) की हताशा करार दिया है।

- भाजपा का हमला: भाजपा प्रवPunjab क्ताओं और नेताओं ने कहा कि विपक्षी दल बार-बार सेना के शौर्य पर सवाल उठाकर पाकिस्तान की भाषा बोलते हैं। उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया ने भारत के इन अभियानों का लोहा माना, तब देश के ही कुछ नेता राजनीतिक स्वार्थ के लिए सेना का अपमान कर रहे हैं। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री से माफी मांगने की मांग की है।
- रक्षा विशेषज्ञ: कई रक्षा विशेषज्ञों ने भी इस तरह की बयानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उनका मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य अभियानों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक दलों को एकजुटता दिखानी चाहिए और सेना के मनोबल को ठेस पहुंचाने वाले बयानों से बचना चाहिए।
- सोशल मीडिया: सोशल मीडिया पर भीPunjab यह बयान बहस का मुद्दा बन गया है। यूजर्स बंटे हुए नजर आ रहे हैं। कुछ लोग पूर्व मुख्यमंत्री के बयान की आलोचना कर रहे हैं और इसे सेना का अपमान बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग सरकार से पारदर्शिता और सबूतों की मांग का समर्थन करते दिख रहे हैं।
पहले भी उठे हैं सवाल:
यह पहली बार नहीं है जब सर्जिकल स्ट्राइक या बालाकोट एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाए गए हैं। पहले भी कई विपक्षी नेताओं, जिनमें कांग्रेस के नेता भी शामिल रहे हैं, ने सबूतों की मांग कीPunjab थी या हमलों के प्रभाव पर संदेह जताया था, जिसे लेकर काफी राजनीतिक घमासान मचा था। सरकार ने हर बार इन आरोपों को खारिज किया और कहा कि सेना पर भरोसा रखना चाहिए।
Punjab के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाना और सबूत मांगना एक बार फिर से राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम राजनीतिक बयानबाजी की बहस को केंद्र में ले आया है। जहां सरकार और भाजपा इसे सेना के अपमान और राष्ट्र विरोधी कृत्य के रूप में देख रही है, वहीं बयान देने वाले नेता औरPunjab उनके समर्थक इसे सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता से जुड़ा मामला बता सकते हैं। हालांकि, जिस तरह की भाषा (“बम गिरेगा तो पता चलेगा ना”) का इस्तेमाल किया गया है, उसने निश्चित रूप से विवाद को और गहरा कर दिया है। यह घटना दर्शाती है कि भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे कितने संवेदनशील हैं और कैसे वे तुरंत राजनीतिक रंग ले लेते हैं। आने वाले दिनों में इस बयान पर राजनीतिक Punjab आरोप-प्रत्यारोप और तेज होने की संभावना है।