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Trump की नई नीति से यूक्रेन परेशान, पुतिन को मिल सकता है क्रीमिया पर तोहफा 2025

Trump की नई नीति से यूक्रेन परेशान, पुतिन को मिल सकता है क्रीमिया पर तोहफा

अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड Trump की विदेश नीति एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में दिए गए उनके एक बयान ने न केवल अमेरिका की पारंपरिक विदेश नीति को चुनौती दी है, बल्कि यूक्रेन के लिए चिंता की लकीरें और गहरी कर दी हैं। Trump ने संकेत दिया है कि अगर वे 2024 में दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो वे क्रीमिया पर रूस के कब्ज़े को “वास्तविकता” मानते हुए इसे स्वीकार कर सकते हैं।

यह बयान जहां एक ओर व्लादिमीर पुतिन के लिए कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह यूक्रेन के लिए एक बड़े झटके के रूप में सामने आया है। Trump’s के इस कथन ने वैश्विक कूटनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है।


डोनाल्ड Trump’s द्वारा क्रीमिया पर रूस के कब्जे को मान्यता देने के संकेत ने वैश्विक कूटनीति में हलचल मचा दी है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध लगातार तीव्र होता जा रहा है और पश्चिमी देश यूक्रेन को सैन्य व आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं।

Trump’s के इस बयान का मतलब साफ है कि अगर वे दोबारा सत्ता में आते हैं, तो अमेरिका की विदेश नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। इससे यूक्रेन को मिलने वाला समर्थन कमजोर पड़ सकता है और रूस को एक अप्रत्यक्ष बढ़त मिल सकती है। पुतिन के लिए यह एक कूटनीतिक जीत होगी, क्योंकि पश्चिमी देशों में से किसी एक बड़े देश द्वारा अगर क्रीमिया पर रूस के कब्जे को मान्यता मिलती है, तो यह अन्य देशों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।

वहीं, यूक्रेन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश द्वारा इस तरह के संकेत वैश्विक लोकतांत्रिक मूल्यों और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा हैं। उन्होंने चेताया कि इससे रूस के हौसले और बढ़ सकते हैं।

इस बयान ने न केवल यूक्रेन की चिंता बढ़ा दी है, बल्कि यूरोपीय संघ के देशों और नाटो गठबंधन को भी सतर्क कर दिया है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या Trump’s अपने इस रुख पर कायम रहते हैं और अगर सत्ता में लौटते हैं तो यह दुनिया की राजनीति को किस दिशा में मोड़ेगा।

क्रीमिया विवाद की पृष्ठभूमि

क्रीमिया, जो कभी यूक्रेन का हिस्सा था, अब रूस के अधीन है। वर्ष 2014 में रूस ने सैन्य कार्रवाई करते हुए क्रीमिया को अपने में मिला लिया। इस कब्ज़े को पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र ने अवैध करार दिया। इसके बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिनका असर अभी तक जारी है।

यूक्रेन ने हमेशा क्रीमिया को अपना अभिन्न हिस्सा बताया है और इस कब्ज़े को चुनौती दी है। अमेरिका सहित नाटो के अधिकांश सदस्य देशों ने यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन किया है और रूस के इस कदम को आक्रामक विस्तारवादी नीति बताया है।


Trump’s के रुख में बदलाव क्यों?

डोनाल्ड Trump’s की विदेश नीति हमेशा से विवादों में रही है। उनका ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा बताता है कि वे अमेरिका को वैश्विक विवादों से दूर रखना चाहते हैं, खासकर जब उस विवाद से अमेरिका को कोई आर्थिक या सामरिक लाभ न हो। Trump’s प्रशासन के दौरान उन्होंने नाटो की आलोचना की और कई बार कहा कि अमेरिका को उन देशों की रक्षा पर खर्च नहीं करना चाहिए जो खुद अपनी रक्षा के लिए तैयार नहीं हैं।

उनका मानना है कि यूक्रेन-रूस युद्ध में अमेरिका की भागीदारी से अमेरिकी टैक्सपेयर्स पर बोझ पड़ रहा है। इसी सोच के तहत अब वे क्रीमिया मुद्दे पर ‘वास्तविकता को स्वीकार करने’ की बात कर रहे हैं, यानी रूस के कब्ज़े को स्थायी रूप से मान्यता देने की दिशा में संकेत।


यूक्रेन की चिंता व वैश्विक प्रतिक्रिया

Trump’s के इस बयान ने यूक्रेन की सरकार और राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को गहरे असमंजस में डाल दिया है। जेलेंस्की ने दो टूक शब्दों में कहा है कि अगर अमेरिका क्रीमिया को रूस का हिस्सा मान लेता है, तो यह सिर्फ यूक्रेन नहीं, पूरी दुनिया के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरे की घंटी होगी।

यूक्रेन पहले से ही रूस के साथ युद्ध में जूझ रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देशों से मिलने वाली आर्थिक और सैन्य सहायता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत रही है। ऐसे में अगर अमेरिका की नीति में बदलाव आता है, तो इससे यूक्रेन की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।

यूरोपीय देशों ने भी इस विषय पर चिंता जताई है। जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों को डर है कि ट्रंप के सत्ता में आने से नाटो की एकता में दरार आ सकती है। इससे न केवल रूस का दुस्साहस बढ़ेगा बल्कि यूर

Trump क्रीमिया पर रूस के अधिकार को ‘मान्यता’ दे सकते हैं: यूक्रेन के लिए चिंता, रूस के लिए राहत

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