Hitler‘ क्यों कहते थे राहुल रावैल को? जानिए उनके जुनून और गुस्से से जुड़ा दिलचस्प किस्सा
भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में कई निर्देशक अपने अनोखे अंदाज़ और बेहतरीन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपनी सख्त कार्यशैली और अनुशासनप्रिय रवैये के कारण एक अलग ही पहचान बना लेते हैं। निर्देशक राहुल रावैल भी ऐसे ही फिल्ममेकर्स में से एक हैं, जिन्हें कभी उनके क्रू और अभिनेता ‘Hitler.’ तक कहने लगे थे। लेकिन इस नाम के पीछे छिपी कहानी सिर्फ उनके गुस्से की नहीं, बल्कि उनके काम के प्रति जबरदस्त समर्पण और जुनून की भी है।

कौन हैं राहुल रावैल?
राहुल रावैल बॉलीवुड के एक चर्चित फिल्म निर्देशक हैं जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक में कई हिट फिल्में दीं। उन्होंने बेताब, अर्जुन, लव स्टोरी, दिवाना, अनजाने जैसी फिल्मों का निर्देशन किया, जो आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं। उन्होंने कई नए चेहरों को लॉन्च किया, जिनमें सनी देओल और काजोल जैसे बड़े सितारे शामिल हैं।
राहुल रावैल की खास बात थी कि वे अपने काम में किसी भी तरह की लापरवाही या समझौता बर्दाश्त नहीं करते थे। उनका मानना था कि फिल्म बनाना एक “टीम वर्क” है, और हर व्यक्ति को समय, ऊर्जा और समर्पण के साथ अपने हिस्से का योगदान देना चाहिए।
‘Hitler‘ की उपाधि कैसे मिली?
फिल्म इंडस्ट्री में राहुल रावैल का एक अलग ही रुतबा था। सेट पर उनका अनुशासन, समय की पाबंदी, और परफेक्शन की मांग इतनी सख्त होती थी कि कलाकार और तकनीकी टीम उन्हें प्यार से (और कभी-कभी डर से) ‘हिटलर’ कहने लगे।

उनके सहयोगी बताते हैं कि शूटिंग के दौरान अगर कोई भी कलाकार समय पर सेट पर नहीं पहुंचता था, या संवादों में लापरवाही करता था, तो राहुल रावैल का गुस्सा तुरंत फूट पड़ता था। लेकिन यह गुस्सा सिर्फ क्रोध नहीं था—यह उनके काम के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता और परिपूर्णता की चाह को दर्शाता था।
सनी देओल के साथ किस्सा
राहुल रावैल ने सनी देओल को फिल्म बेताब के जरिए बॉलीवुड में लॉन्च किया था। सनी खुद भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि राहुल सर ने उन्हें एक अभिनेता बनने की पहली सीख दी। लेकिन शुरुआती दिनों में जब सनी संवादों में अटक जाते थे या एक्सप्रेशन्स कमजोर पड़ते थे, तो राहुल रावैल उन्हें सख्त डांट पिलाते थे।
एक इंटरव्यू में सनी देओल ने हंसते हुए कहा था, “राहुल सर बहुत सख्त थे। अगर गलती हो जाती थी, तो डांट पड़ना तय था। लेकिन आज जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो वही डांट मेरे करियर की बुनियाद बनी।”
जुनून जो प्रेरणा बना
राहुल रावैल का मानना था कि फिल्म निर्माण सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि एक सृजनात्मक प्रक्रिया है, जिसमें हर छोटी-बड़ी बात मायने रखती है। वे अपने हर प्रोजेक्ट को ऐसे देखते थे जैसे वह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य हो। चाहे कैमरा एंगल हो, कलाकार की परफॉर्मेंस हो या बैकग्राउंड स्कोर—हर पहलू पर उनकी पैनी नजर रहती थी।
उनका यह जुनून और मेहनत ही थी, जो उन्हें ‘Hitler‘ जैसे उपनाम के बावजूद कलाकारों और टीम का सम्मान दिलाता था। आज भी जिन लोगों ने उनके साथ काम किया है, वे यह स्वीकार करते हैं कि राहुल रावैल की फिल्मों में काम करके उन्होंने अनुशासन, समय प्रबंधन, और पेशेवर दृष्टिकोण सीखा।
इंडस्ट्री में आदर्श निर्देशक
जहां आज के दौर में कई निर्देशक एक “कूल बॉस” की छवि बनाए रखते हैं, वहीं राहुल रावैल अपने जमाने में एक आदर्श निर्देशक के रूप में माने जाते थे, जो अपने कलाकारों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन निकालने के लिए हर संभव प्रयास करते थे। उनके इस रवैये ने कई प्रतिभाओं को तराशा और उन्हें दर्शकों के दिलों तक पहुंचाया।
लेखक, गुरु और मार्गदर्शक
आज राहुल रावैल निर्देशन से दूर हैं, लेकिन उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए एक किताब भी लिखी है – “Raj Kapoor: The Master at Work”, जिसमें उन्होंने फिल्म निर्देशक राज कपूर के साथ बिताए पलों और उनके सीखों का जिक्र किया है। इस किताब को फिल्म जगत में खूब सराहा गया।

इसके अलावा वे FTII जैसे संस्थानों में भी निर्देशन के छात्रों को मार्गदर्शन देते हैं। उनका मानना है कि अगर आप सिनेमा में कुछ बड़ा करना चाहते हैं, तो आपको अनुशासन और समर्पण को अपने जीवन का हिस्सा बनाना होगा।
निष्कर्ष
राहुल रावैल को ‘Hitler.’ कहे जाने के पीछे उनका सख्त स्वभाव जरूर था, लेकिन यह नाम उनके अत्यधिक समर्पण, कड़ी मेहनत, और फिल्मों के प्रति प्रेम का प्रमाण भी है। ऐसे फिल्मकार आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं, जो अपने काम से समझौता नहीं करते और दूसरों को भी श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा देते हैं।
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