आप लोग ट्यूबलाइट हो”: Supreme Court पर निशिकांत दुबे के बयान पर ओवैसी का तीखा हमला, BJP पर गंभीर आरोप
Supreme Court पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के हालिया बयान को लेकर राजनीति में हलचल मच गई है। दुबे ने Supreme Court के खिलाफ विवादित बयान दिया था, जिसके बाद AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखा विरोध किया। ओवैसी ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि यह बयान भारतीय लोकतंत्र और न्यायपालिका की गरिमा को नुकसान पहुँचाने वाला है।

निशिकांत दुबे का बयान
निशिकांत दुबे, जो झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद हैं, ने Supreme Court को लेकर अपने बयान में कहा था, “आप लोग ट्यूबलाइट हो”, जो एक अभद्र टिप्पणी मानी जा रही है। उनका यह बयान Supreme Court के उस फैसले के संदर्भ में था, जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह पूछा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर सरकार क्या कदम उठा रही है। दुबे ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पर आलोचना करते हुए यह शब्दों का प्रयोग किया, जो अब राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है।
ओवैसी का तीखा हमला
ओवैसी ने इस बयान को लेकर बीजेपी और दुबे पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बयान न्यायपालिका के खिलाफ एक साजिश का हिस्सा है। ओवैसी ने कहा, “दुबे ने जो टिप्पणी की, वह सिर्फ Supreme Court पर नहीं, बल्कि पूरी न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सम्मान पर हमला है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह बीजेपी के “लोकतंत्र विरोधी” एजेंडे का हिस्सा है, जिसमें न्यायपालिका के स्वतंत्र फैसलों को अस्वीकार किया जाता है।
ओवैसी ने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए आरोप लगाया कि पार्टी हमेशा अपने राजनीतिक लाभ के लिए न्यायपालिका को दबाव में डालने की कोशिश करती है। उन्होंने यह भी कहा कि दुबे का बयान यह साबित करता है कि बीजेपी और उसके नेता न्यायपालिका के फैसलों को अपनी सुविधा के अनुसार मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी पर आरोप
ओवैसी ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी के नेता हमेशा न्यायपालिका के फैसलों को अपनी विचारधारा के खिलाफ मानने से इनकार करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी नेताओं द्वारा दी गई इस तरह की टिप्पणियाँ, जैसे कि “ट्यूबलाइट” वाली टिप्पणी, सिर्फ एक सुनियोजित प्रयास है ताकि न्यायपालिका के फैसलों को कमजोर किया जा सके।

उन्होंने इस बयान को लोकतंत्र की जड़ें कमजोर करने वाला बताया और इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में देखा। ओवैसी ने यह भी कहा कि यह बीजेपी का मापदंड है, जहां वे किसी भी संस्था या व्यक्ति को उस स्थिति में नहीं देख सकते जो उनके एजेंडे से मेल नहीं खाता हो।
Supreme Court की भूमिका
Supreme Court जो भारतीय न्याय व्यवस्था का सर्वोच्च निकाय है, हमेशा से स्वतंत्र और निष्पक्ष फैसलों के लिए जाना जाता है। ओवैसी ने कहा कि Supreme Court के फैसले देश के संविधान और कानून के अनुसार होते हैं, और बीजेपी नेताओं का इस पर टिप्पणी करना संविधानिक संस्थाओं के सम्मान को चोट पहुँचाने जैसा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ने न्यायपालिका को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार दिया है, और इस अधिकार का उल्लंघन करने वाले किसी भी प्रयास को वह पूरी तरह से नकारते हैं।
क्या था CAA पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
Supreme Court ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से यह सवाल पूछा था कि नागरिकता के इस संशोधन के लागू होने के बाद सरकार ने किस प्रकार का कदम उठाया है। अदालत ने यह भी कहा था कि सरकार को इस मामले में जवाब देना होगा, जिससे यह साफ हो सके कि CAA का लागू होना भारतीय संविधान और नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ तो नहीं है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
निशिकांत दुबे के बयान के बाद भारतीय राजनीति में कई दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। जहां ओवैसी ने बीजेपी पर हमला बोला, वहीं अन्य विपक्षी दलों ने भी इस बयान को लेकर अपनी चिंता जताई। कांग्रेस ने भी बीजेपी की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी के नेता न्यायपालिका के खिलाफ लगातार अपमानजनक बयान दे रहे हैं, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

निष्कर्ष
निशिकांत दुबे का बयान भारतीय राजनीति में एक नई बहस का जन्म दे रहा है। ओवैसी का आरोप बीजेपी पर यह है कि पार्टी जानबूझकर न्यायपालिका को निशाना बना रही है। इस बीच, बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह घटना न्यायपालिका के लिए एक गंभीर संदेश देती है कि राजनीतिक दलों को न्यायपालिका की स्वतंत्रता और गरिमा का सम्मान करना चाहिए। वहीं, यह भी दिखाता है कि भारतीय राजनीति में कई बार न्यायपालिका के फैसलों पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की जाती है, जो लोकतंत्र के लिए हानिकारक हो सकता है।
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