“लॉजिक कहां है?” करण जौहर ने SS राजामौली की फिल्मों पर उठाए सवाल, गदर के हैंडपंप सीन का किया ज़िक्र

“लॉजिक कहां है?” करण जौहर ने SS राजामौली की फिल्मों पर उठाए सवाल, गदर के हैंडपंप सीन का किया ज़िक्र

करण जौहर, जो बॉलीवुड के एक प्रभावशाली फिल्म निर्माता, निर्देशक और टॉक शो होस्ट हैं, अक्सर अपने विचारों और बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं। हाल ही में, उन्होंने एसएस राजामौली की फिल्मों और लोकप्रिय फिल्म ‘गदर’ के एक सीन पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कुछ ऐसा कहा, जिसने लोगों का ध्यान खींचा है।

करण जौहर का बयान:

करण जौहर ने एक इंटरव्यू में एसएस राजामौली की फिल्मों के बारे में बात करते हुए कहा कि उनकी फिल्मों में लॉजिक की कमी होती है। उन्होंने कहा कि राजामौली की फिल्में भावनाओं और भव्यता पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं, जबकि लॉजिक को पीछे छोड़ दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राजामौली की फिल्मों का पैमाना और भव्यता पसंद है, लेकिन उन्हें लगता है कि उनमें कहानी कहने का तरीका थोड़ा कमजोर है।

इसके अलावा, करण जौहर ने ‘गदर’ फिल्म के हैंडपंप सीन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह सीन बहुत ही नाटकीय और अवास्तविक था, लेकिन इसने दर्शकों को खूब आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि यह सीन दिखाता है कि कभी-कभी लॉजिक से परे जाकर भावनाओं को छूना भी जरूरी होता है।

करण जौहर के बयान का विश्लेषण:

करण जौहर का यह बयान कई दृष्टिकोणों से विचार करने योग्य है। एक तरफ, यह सच है कि एसएस राजामौली की फिल्में लॉजिक पर ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं। उनकी फिल्में अक्सर अतिरंजित दृश्यों और अवास्तविक घटनाओं से भरी होती हैं। उदाहरण के लिए, ‘बाहुबली’ श्रृंखला में दिखाए गए युद्ध के दृश्य और ‘आरआरआर’ में दिखाए गए स्टंट सीन लॉजिक की कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं।

हालांकि, यह भी सच है कि राजामौली की फिल्मों का उद्देश्य लॉजिक दिखाना नहीं है। उनकी फिल्में मनोरंजन और भावनाओं को जगाने के लिए बनाई जाती हैं। राजामौली की फिल्में दर्शकों को एक अलग दुनिया में ले जाती हैं, जहां सब कुछ संभव है। उनकी फिल्मों में दिखाए गए भव्य दृश्य और नाटकीय घटनाएं दर्शकों को रोमांचित करते हैं और उन्हें एक यादगार अनुभव प्रदान करते हैं।

करण जौहर

‘गदर’ फिल्म के हैंडपंप सीन का जिक्र करते हुए करण जौहर ने यह भी कहा कि कभी-कभी लॉजिक से परे जाकर भावनाओं को छूना भी जरूरी होता है। यह बात सही है। कई बार, फिल्मों में दिखाए गए नाटकीय और अवास्तविक दृश्य दर्शकों को गहराई से प्रभावित करते हैं और उन्हें एक मजबूत संदेश देते हैं।

करण जौहर के बयान पर प्रतिक्रिया:

करण जौहर के इस बयान पर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोगों ने उनके बयान का समर्थन किया है, जबकि कुछ लोगों ने उनकी आलोचना की है।

कुछ लोगों का कहना है कि करण जौहर सही कह रहे हैं कि राजामौली की फिल्मों में लॉजिक की कमी होती है। उनका कहना है कि राजामौली की फिल्में मनोरंजन तो करती हैं, लेकिन उनमें कहानी कहने का तरीका कमजोर होता है।

वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि करण जौहर राजामौली की फिल्मों को समझ नहीं पाए हैं। उनका कहना है कि राजामौली की फिल्में लॉजिक पर नहीं, बल्कि भावनाओं पर आधारित होती हैं। उनका कहना है कि राजामौली की फिल्में दर्शकों को एक अलग दुनिया में ले जाती हैं और उन्हें एक यादगार अनुभव प्रदान करती हैं।

एसएस राजामौली की फिल्मों का महत्व:

एसएस राजामौली भारतीय सिनेमा के सबसे सफल निर्देशकों में से एक हैं। उनकी फिल्में न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। राजामौली की फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी है।

राजामौली की फिल्मों की सफलता का श्रेय उनकी कहानी कहने के अनूठे तरीके, भव्य दृश्यों और नाटकीय घटनाओं को जाता है। उनकी फिल्में दर्शकों को एक अलग दुनिया में ले जाती हैं और उन्हें एक यादगार अनुभव प्रदान करती हैं।

राजामौली की फिल्मों ने यह भी साबित किया है कि भारतीय सिनेमा में भी हॉलीवुड स्तर की फिल्में बनाई जा सकती हैं। उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है।

निष्कर्ष:

करण जौहर का एसएस राजामौली की फिल्मों पर दिया गया बयान एक विचारोत्तेजक बयान है। यह बयान हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि फिल्मों में लॉजिक का कितना महत्व है और क्या भावनाओं को छूना भी जरूरी है।

करण जौहर के बयान पर लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन यह बात सच है कि राजामौली भारतीय सिनेमा के एक महत्वपूर्ण निर्देशक हैं और उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को एक नई पहचान दी है।

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