बैंक डूबा तो मिलेंगे ₹5 लाख से ज़्यादा! सरकार की बड़ी तैयारी: जमाकर्ताओं के लिए सुरक्षा जाल मजबूत

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बैंक जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सूत्रों के अनुसार, सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है जिसके तहत अगर कोई बैंक डूबता है, तो जमाकर्ताओं को वर्तमान में मिलने वाली ₹5 लाख की राशि से अधिक मुआवजा मिल सकेगा। यह कदम बैंकिंग क्षेत्र में वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करने और जमाकर्ताओं के विश्वास को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है।

₹5 लाख

वर्तमान स्थिति: ₹5 लाख की गारंटी

वर्तमान में, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के तहत, बैंक में जमा राशि पर अधिकतम ₹5 लाख तक की गारंटी मिलती है। DICGC, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक सहायक कंपनी है, जो बैंकों में जमा राशि का बीमा करती है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को उसकी जमा राशि पर ₹5 लाख तक का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। यह सीमा सभी बैंकों (निजी, सार्वजनिक, सहकारी और विदेशी बैंकों की भारतीय शाखाएं) पर लागू होती है जो DICGC के साथ पंजीकृत हैं।

₹5 लाख की यह सीमा 2020 में बढ़ाई गई थी, इससे पहले यह केवल ₹1 लाख थी। उस समय, सरकार ने यह कदम पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक घोटाले के बाद जमाकर्ताओं के बीच फैली चिंता को दूर करने के लिए उठाया था।

नई योजना: सीमा बढ़ाने की तैयारी

अब, सरकार इस सीमा को और बढ़ाने पर विचार कर रही है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि नई सीमा क्या होगी, लेकिन माना जा रहा है कि यह ₹5 लाख से काफी अधिक होगी। सूत्रों के अनुसार, सरकार विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है, जिसमें जमा राशि के आधार पर अलग-अलग स्लैब बनाना भी शामिल है।

इस योजना का उद्देश्य उन जमाकर्ताओं को अधिक सुरक्षा प्रदान करना है जिनकी बैंकों में बड़ी रकम जमा है। वर्तमान सीमा, विशेष रूप से मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए पर्याप्त नहीं है, जिनकी बचत का एक बड़ा हिस्सा बैंकों में जमा है।

सरकार का तर्क और उद्देश्य

सरकार का मानना है कि जमा राशि की गारंटी सीमा बढ़ाने से बैंकिंग प्रणाली में लोगों का विश्वास बढ़ेगा। हाल के वर्षों में, कई छोटे और मध्यम आकार के बैंकों ने वित्तीय संकट का सामना किया है, जिससे जमाकर्ताओं में असुरक्षा की भावना पैदा हुई है।

इस कदम से बैंकों को अधिक जमा आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी। जब लोगों को पता होगा कि उनकी जमा राशि सुरक्षित है, तो वे बैंकों में पैसा जमा करने के लिए अधिक इच्छुक होंगे।

सरकार का यह भी मानना है कि यह कदम अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। जब लोग बैंकों में पैसा जमा करेंगे, तो बैंकों के पास उधार देने के लिए अधिक धन होगा, जिससे निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

चुनौतियां और विचारणीय बातें

हालांकि यह योजना जमाकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं।

  1. DICGC पर वित्तीय बोझ: जमा राशि की गारंटी सीमा बढ़ाने से DICGC पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। DICGC को अधिक प्रीमियम का भुगतान करने के लिए बैंकों की आवश्यकता हो सकती है, जिससे बैंकों की लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है।
  2. नैतिक जोखिम: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जमा राशि की गारंटी सीमा बढ़ाने से बैंकों में नैतिक जोखिम बढ़ सकता है। इसका मतलब है कि बैंक अधिक जोखिम लेने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं, यह जानते हुए कि सरकार उनकी जमा राशि की गारंटी देगी।
  3. प्रीमियम निर्धारण: DICGC को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह बैंकों से उचित प्रीमियम ले। यदि प्रीमियम बहुत कम है, तो DICGC के पास दावों का भुगतान करने के लिए पर्याप्त धन नहीं होगा। यदि प्रीमियम बहुत अधिक है, तो इससे बैंकों की लाभप्रदता प्रभावित होगी।

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