ट्रंप का टैरिफ युद्ध: US से एशिया तक हाहाकार, किस करवट बैठेगा भारतीय बाजार?

Trump का टैरिफ वॉर… US से एशिया तक हाहाकार, किस करवट बैठेगा भारतीय बाजार?

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump द्वारा शुरू किया गया टैरिफ युद्ध, वैश्विक व्यापार संबंधों में एक महत्वपूर्ण व्यवधान रहा है। Trump ने संरक्षणवादी नीतियों को आगे बढ़ाते हुए, विभिन्न देशों से आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाए। इस कदम ने दुनिया भर के शेयर बाजारों में अनिश्चितता और अस्थिरता पैदा कर दी है, जिससे निवेशकों और नीति निर्माताओं के बीच चिंता बढ़ गई है।

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टैरिफ युद्ध की शुरुआत:

टैरिफ युद्ध की शुरुआत 2018 में हुई, जब Trump प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए चीन से आयातित स्टील और एल्यूमीनियम पर शुल्क लगाया। इसके बाद, चीन ने भी जवाबी शुल्क लगाए, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार तनाव बढ़ गया। धीरे-धीरे, यह युद्ध अन्य देशों तक फैल गया, जिसमें अमेरिका के सहयोगी कनाडा और मेक्सिको भी शामिल थे।

एशियाई बाजारों पर प्रभाव

टैरिफ युद्ध का एशियाई बाजारों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। कई एशियाई देश चीन के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं, जो क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र और एक प्रमुख बाजार के रूप में काम कर रहा है। नतीजतन, चीनी अर्थव्यवस्था में किसी भी व्यवधान का पूरे क्षेत्र में दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

टैरिफ युद्ध ने एशियाई देशों के बीच व्यापार और निवेश को कम कर दिया है। अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित चीनी सामानों को अब संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात करना अधिक महंगा है, जिससे चीनी निर्यात में गिरावट आई है। इसने एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है जो कच्चे माल या मध्यवर्ती वस्तुओं के साथ चीन की आपूर्ति करते हैं, क्योंकि मांग कम हो गई है।

इसके अतिरिक्त, टैरिफ युद्ध ने एशियाई बाजारों में अनिश्चितता पैदा की है, जिससे निवेशकों को झिझक हो रही है। व्यापार तनाव ने अस्थिरता में वृद्धि और शेयर बाजार में गिरावट आई है क्योंकि निवेशक व्यापार युद्ध के संभावित परिणामों के बारे में अनिश्चित हैं।

कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ:

हाल ही में, Trump ने कनाडा और मेक्सिको से आयातित एल्यूमीनियम और स्टील पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इस फैसले ने उत्तरी अमेरिका में व्यापार संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया है, क्योंकि इन दोनों देशों के साथ अमेरिका का गहरा आर्थिक संबंध है। कनाडा और मेक्सिको ने भी जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिससे व्यापार युद्ध और बढ़ने की आशंका है।

वैश्विक बाजारों पर प्रभाव:

Trump के टैरिफ युद्ध ने वैश्विक शेयर बाजारों में व्यापक अस्थिरता पैदा की है। अमेरिकी शेयर बाजार, जैसे कि डाउ जोंस और एसएंडपी 500, टैरिफ की घोषणाओं के बाद कई बार गिरे हैं। एशियाई बाजार, जैसे कि शंघाई कंपोजिट और निक्केई 225, भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं। निवेशकों को डर है कि टैरिफ वैश्विक आर्थिक विकास को बाधित कर सकते हैं और कंपनियों के लाभ को कम कर सकते हैं।

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भारतीय बाजार पर प्रभाव:

भारतीय बाजार भी Trump के टैरिफ युद्ध से अछूता नहीं रहा है। भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ी है, और रुपये का मूल्य भी कमजोर हुआ है। भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले कुछ उत्पादों पर भी शुल्क लगाए गए हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो रहा है।

भारतीय बाजार के लिए अवसर:

हालांकि, टैरिफ युद्ध भारतीय बाजार के लिए कुछ अवसर भी पैदा कर सकता है। यदि अमेरिकी कंपनियां चीन से अपने उत्पादन को स्थानांतरित करने का फैसला करती हैं, तो भारत एक आकर्षक गंतव्य हो सकता है। भारत सरकार को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए निवेश को आकर्षित करने और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनानी चाहिए।

निष्कर्ष:

Donald Trump का टैरिफ युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। यह व्यापार संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है, शेयर बाजारों में अस्थिरता पैदा कर रहा है, और आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है। भारतीय बाजार को इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए, और अवसरों का लाभ उठाने के लिए नीतियां बनानी चाहिए।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टैरिफ युद्ध की स्थिति लगातार बदल रही है, और भविष्य में और अधिक अनिश्चितता हो सकती है। निवेशकों और नीति निर्माताओं को नवीनतम विकास पर नजर रखनी चाहिए और उसके अनुसार अपनी रणनीतियों को समायोजित करना चाहिए।

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