अखिलेश यादव का योगी पर पलटवार: ‘मौलाना बनना भी अच्छा, पर खराब योगी नहीं!’
: लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच तीखी जुबानी जंग देखने को मिली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा को “दोहरे चरित्र” वाला बताते हुए कहा कि उनकी सरकार अन्य भाषाओं के मुकाबले उर्दू को ज्यादा महत्व देती है। इस पर पलटवार करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “मौलाना बनना भी अच्छा, पर खराब योगी नहीं!” इस घटना ने राज्य की राजनीति में एक नया भूचाल ला दिया है, जहां भाषा और धार्मिक पहचान के मुद्दों को हवा मिल गई है।

योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण के दौरान सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी पार्टी एक तरफ तो ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा लगाती है, लेकिन दूसरी तरफ अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति अपनाती है। उन्होंने सपा पर आरोप लगाया कि वह उर्दू को अन्य भारतीय भाषाओं से अधिक महत्व देकर एक खास समुदाय को खुश करने का प्रयास कर रही है, जिससे समाज में विभाजन पैदा हो रहा है। उन्होंने सपा के शासनकाल में उर्दू शिक्षकों की भर्ती और उर्दू में प्रकाशित होने वाली सरकारी विज्ञप्तियों की संख्या में वृद्धि जैसे मुद्दों को भी उठाया।
जवाब में अखिलेश यादव ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धर्म और राजनीति को मिलाकर समाज में जहर घोल रहे हैं। उन्होंने कहा, “मौलाना बनना भी अच्छा है, पर खराब योगी नहीं!” उन्होंने यह भी कहा कि योगी सरकार विकास के मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय धार्मिक और भाषाई मुद्दों को उठाकर लोगों को गुमराह कर रही है। यादव ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही है और उन्हें हाशिए पर धकेल रही है।
इस घटना के बाद राज्य की राजनीति में उबाल आ गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना आने वाले चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकती है। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि इस घटना से समाज में ध्रुवीकरण बढ़ सकता है, जिससे सांप्रदायिक तनाव और अस्थिरता पैदा हो सकती है।
विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सपा सरकार उर्दू को बढ़ावा देकर देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को कमजोर कर रही है। वहीं, विपक्षी दलों ने अखिलेश यादव का समर्थन करते हुए भाजपा पर अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर दोनों पार्टियों को निशाना बनाते हुए कहा कि दोनों ही पार्टियां सांप्रदायिक राजनीति कर रही हैं और लोगों को बांट रही हैं।

इस घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए हैं। भाजपा समर्थकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में रैलियां निकालीं, जबकि सपा समर्थकों ने अखिलेश यादव के समर्थन में प्रदर्शन किए। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज का भी इस्तेमाल किया। कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया है।
इस घटना के बाद राज्य सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सभी जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की गई है। सरकार ने सोशल मीडिया पर भी कड़ी निगरानी रखने का आदेश दिया है और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
इस घटना का राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ने की आशंका है। पर्यटन उद्योग को नुकसान हो सकता है, क्योंकि लोग असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। निवेशक भी राज्य में निवेश करने से हिचकिचा सकते हैं।
अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच यह टकराव केवल दो राजनीतिक नेताओं के बीच की जुबानी जंग नहीं है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में गहरे विभाजन का प्रतीक है। दोनों ही नेता अपने-अपने समुदायों के शक्तिशाली प्रतीक हैं और उनकी बयानबाजी राज्य में सांप्रदायिक तनाव को और बढ़ा सकती है।

यह घटना राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य में कानून और व्यवस्था बनी रहे और सभी समुदायों को समान अवसर मिले। सरकार को समुदायों के बीच संवाद को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए भी कदम उठाने होंगे।
यह घटना राज्य के लोगों के लिए भी एक सबक है। लोगों को यह समझना होगा कि धर्म और राजनीति को मिलाकर समाज में विद्वेष फैलाया जा रहा है। उन्हें सभी समुदायों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और शांति और सद्भाव से रहना चाहिए।
यह देखना बाकी है कि यह घटना राज्य के राजनीतिक भविष्य को कैसे आकार देती है और इसका आगामी चुनावों पर क्या असर होता है। फिलहाल, यह घटना राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
कमाल के टिप्स”: यूपीएससी टॉपर इशिता किशोर ने परीक्षा पे चर्चा में छात्रों को किया मार्गदर्शन