बोफोर्स घोटाला फिर उभरा: BJP ने सोनिया और राहुल गांधी से इस्तीफे की मांग की
भारतीय राजनीति के इतिहास में बोफोर्स घोटाला एक ऐसा दाग है, जिसे वर्षों बाद भी धोया नहीं जा सका है। 1980 के दशक में राजीव गांधी सरकार के दौरान हुए इस घोटाले ने न केवल राजनीतिक भूचाल ला दिया था, बल्कि देश की छवि को भी गहरा आघात पहुंचाया था। अब, 2024 में, एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में है, जब भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) ने इस मुद्दे को फिर से उठाते हुए सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस्तीफे की मांग की है।
बोफोर्स घोटाला स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स द्वारा भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने के सौदे में रिश्वतखोरी का मामला था। आरोप था कि 1986 में 1437 करोड़ रुपये का यह सौदा हासिल करने के लिए बोफोर्स कंपनी ने भारतीय राजनेताओं और अधिकारियों को रिश्वत दी थी। इस मामले में राजीव गांधी और उनके करीबी सहयोगियों पर भी उंगलियां उठी थीं, हालांकि किसी पर भी आरोप साबित नहीं हो सका।

इस घोटाले ने उस समय की राजीव गांधी सरकार की छवि को बुरी तरह से प्रभावित किया था और 1989 के आम चुनावों में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण बना था। इसके बाद कई जांचें हुईं, कई आरोप लगे, लेकिन मामला आज भी पूरी तरह से सुलझ नहीं पाया है।
अब, कई सालों बाद, BJP ने इस मुद्दे को फिर से उठाकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। भाजपा नेताओं का कहना है कि बोफोर्स घोटाला देश के साथ विश्वासघात था और इस मामले में शामिल लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उनका आरोप है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी को इस घोटाले के बारे में जानकारी थी और उन्होंने जानबूझकर इसे दबाने की कोशिश की।
भाजपा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस्तीफे की मांग करते हुए कहा है कि उन्हें नैतिक आधार पर अपने पदों से हट जाना चाहिए। BJP का कहना है कि जब तक इस मामले की पूरी तरह से जांच नहीं हो जाती, तब तक उन्हें किसी भी राजनीतिक पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
BJP के इस कदम से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने BJP पर राजनीतिक लाभ लेने के लिए पुराने मुद्दों को उठाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने BJP के आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है।

कांग्रेस का कहना है कि बोफोर्स मामले की पहले भी कई बार जांच हो चुकी है और किसी भी जांच में सोनिया गांधी या राहुल गांधी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। कांग्रेस का यह भी कहना है कि BJP सरकार जानबूझकर इस मामले को फिर से उछाल रही है ताकि वह लोगों का ध्यान वर्तमान मुद्दों से भटका सके।
हालांकि, BJP अपने रुख पर कायम है। भाजपा नेताओं का कहना है कि बोफोर्स घोटाला एक गंभीर मामला है और इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। उनका कहना है कि वे इस मामले को तब तक उठाते रहेंगे जब तक कि दोषियों को सजा नहीं मिल जाती।
इस बीच, बोफोर्स मामले से जुड़े कई नए तथ्य भी सामने आए हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस मामले में कुछ नए गवाह सामने आए हैं जो कुछ अहम खुलासे कर सकते हैं। इन दावों के बाद इस मामले में जांच की मांग और तेज हो गई है।
अब देखना यह है कि बोफोर्स घोटाला मामले में आगे क्या होता है। क्या इस मामले में कोई नई जांच शुरू होगी? क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर कोई आरोप साबित हो पाएगा? या फिर यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
जो भी हो, यह तय है कि बोफोर्स घोटाला भारतीय राजनीति का एक ऐसा अध्याय है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह घोटाला न केवल भ्रष्टाचार का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे राजनीतिक फायदे के लिए देश की सुरक्षा को भी खतरे में डाला जा सकता है।
BJP द्वारा इस मामले को फिर से उठाने से यह उम्मीद जगी है कि शायद अब इस घोटाले के पीछे की सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को सजा मिल सके। लेकिन, यह भी सच है कि यह मामला बेहद जटिल है और इसमें कई राजनीतिक हित जुड़े हुए हैं। इसलिए, इस मामले में किसी भी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं होगा।

बहरहाल, बोफोर्स घोटाला एक बार फिर BJP के केंद्र में आ गया है और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और भी गरमागरम बहस होने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है और इसका भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है। सोनिया और राहुल गांधी का भविष्य इस मामले के परिणाम पर काफी हद तक निर्भर करेगा। यदि नए सबूत सामने आते हैं और उन्हें मुश्किल में डालते हैं, तो उनकी राजनीतिक विरासत को गहरा धक्का लग सकता है। वहीं, अगर वे इन आरोपों से मुक्त हो जाते हैं, तो वे BJP पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाकर अपनी छवि को और मजबूत कर सकते हैं।
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