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Deepika Padukone का ऑस्कर पर निशाना: भारतीय सिनेमा के साथ ‘वंचित’ व्यवहार पर सवाल2025

 Deepika Padukone का ऑस्कर पर निशाना: भारतीय सिनेमा के साथ ‘वंचित’ व्यवहार पर सवाल

बॉलीवुड की अग्रणी अभिनेत्री  Deepika Padukone  ने हाल ही में ऑस्कर (Academy Awards) पर निशाना साधते हुए एक गंभीर मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय फिल्मों को अक्सर इस प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह में ‘वंचित’ रखा जाता है, जिससे भारतीय सिनेमा जगत में एक नई बहस छिड़ गई है। Deepika Padukone  का यह बयान न केवल भारतीय फिल्म उद्योग के भीतर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी ऑस्कर की निष्पक्षता और प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाता है।

ऑस्कर: एक वैश्विक मंच, लेकिन क्या सही मायने में वैश्विक?

ऑस्कर, जिसे अकादमी पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है, फिल्म उद्योग में उत्कृष्टता का प्रतीक माना जाता है। यह हॉलीवुड के सबसे प्रतिष्ठित आयोजनों में से एक है और दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं और कलाकारों के लिए एक सपने जैसा है। हर साल, दुनिया भर से फिल्में विभिन्न श्रेणियों में प्रतिस्पर्धा करती हैं, और विजेताओं को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

हालांकि, ऑस्कर पर अक्सर पश्चिमी, विशेष रूप से हॉलीवुड-केंद्रित होने का आरोप लगता रहा है। कई लोगों का मानना है कि यह पुरस्कार समारोह गैर-अंग्रेजी भाषी फिल्मों और विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमियों के कलाकारों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं देता है।

 Deepika Padukone  का बयान: एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप

 Deepika Padukone का बयान इस बहस को एक नया आयाम देता है। उन्होंने सीधे तौर पर ऑस्कर पर भारतीय फिल्मों को वंचित रखने का आरोप लगाया है। दीपिका, जिन्होंने हॉलीवुड फिल्म “xXx: Return of Xander Cage” में भी काम किया है, वैश्विक सिनेमा परिदृश्य से अच्छी तरह वाकिफ हैं। उनका यह बयान अनुभव और समझ पर आधारित है।

 Deepika Padukone  ने यह भी कहा कि भारतीय फिल्मों में कहानियों की विविधता और रचनात्मकता है, जो दुनिया भर के दर्शकों को आकर्षित कर सकती है। उन्होंने ऑस्कर जैसे मंचों पर भारतीय फिल्मों को अधिक प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि भारतीय सिनेमा को वैश्विक पहचान मिल सके।

भारतीय सिनेमा: प्रतिभा और विविधता का भंडार

भारतीय सिनेमा, जो अक्सर बॉलीवुड के नाम से जाना जाता है, दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है। यह हर साल हजारों फिल्में बनाता है, जो विभिन्न भाषाओं, शैलियों और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करती हैं। भारतीय फिल्मों में प्रेम, नाटक, एक्शन, कॉमेडी और सामाजिक संदेशों का मिश्रण होता है, जो इसे दुनियाभर के दर्शकों के लिए आकर्षक बनाता है।

हालांकि, भारतीय फिल्मों को ऑस्कर में सीमित सफलता मिली है। मदर इंडिया (1957), सलाम बॉम्बे! (1988) और लगान (2001) जैसी कुछ ही फिल्में हैं जिन्हें सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म श्रेणी में नामांकित किया गया है। इनमें से कोई भी फिल्म यह पुरस्कार जीतने में सफल नहीं रही है।

ऑस्कर में प्रतिनिधित्व की कमी के कारण

भारतीय फिल्मों को ऑस्कर में कम प्रतिनिधित्व मिलने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • भाषा बाधा: ऑस्कर में अधिकांश फिल्में अंग्रेजी में होती हैं। गैर-अंग्रेजी भाषी फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचने और जूरी सदस्यों को प्रभावित करने में कठिनाई होती है।
  • वितरण और प्रचार: भारतीय फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक वितरण और प्रचार की कमी का सामना करना पड़ता है। ऑस्कर में नामांकित होने और जीतने के लिए, फिल्मों को अकादमी सदस्यों तक पहुंचना और उन्हें प्रभावित करना महत्वपूर्ण है।

क्या बदलाव की जरूरत है?

 Deepika Padukone  बयान के बाद, ऑस्कर में बदलाव की जरूरत पर फिर से बहस शुरू हो गई है। कई लोग मानते हैं कि अकादमी को अधिक समावेशी और विविध होने की आवश्यकता है। इसके लिए, अकादमी को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  • गैर-अंग्रेजी भाषी फिल्मों को बढ़ावा देना: अकादमी को गैर-अंग्रेजी भाषी फिल्मों के लिए अधिक अवसर पैदा करने चाहिए। इसके लिए, अकादमी को डबिंग और सबटाइटलिंग को बढ़ावा देना चाहिए, और गैर-अंग्रेजी भाषी फिल्मों के लिए अलग से पुरस्कार श्रेणी बनानी चाहिए।
  • अंतर्राष्ट्रीय जूरी सदस्यों को शामिल करना: अकादमी को अधिक अंतर्राष्ट्रीय जूरी सदस्यों को शामिल करना चाहिए, ताकि विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमियों के लोगों को प्रतिनिधित्व मिल सके।

निष्कर्ष

 Deepika Padukone का ऑस्कर पर निशाना एक महत्वपूर्ण और आवश्यक हस्तक्षेप है। यह भारतीय सिनेमा के साथ ‘वंचित’ व्यवहार पर सवाल उठाता है और ऑस्कर जैसे वैश्विक मंचों को अधिक समावेशी और विविध बनाने की आवश्यकता पर जोर देता है। उम्मीद है कि दीपिका का यह बयान ऑस्कर अकादमी को अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित करेगा, ताकि भविष्य में भारतीय फिल्मों को अधिक प्रतिनिधित्व मिल सके।

यह सिर्फ भारतीय सिनेमा की बात नहीं है, बल्कि यह वैश्विक सिनेमा के प्रतिनिधित्व और मान्यता की बात है। ऑस्कर को सही मायने में वैश्विक पुरस्कार समारोह बनने के लिए, इसे सभी संस्कृतियों और भाषाओं की फिल्मों को समान अवसर देना चाहिए।thumb_upthumb_down

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