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हर दिन करोड़ों की कमाई, Trump Tariff को बताया अमेरिका की जीत का मंत्र 2025

हर दिन करोड़ों की कमाई, Trump Tariff को बताया अमेरिका की जीत का मंत्र

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड Trump Tariff एक बार फिर अपने विवादास्पद और प्रभावशाली आर्थिक एजेंडे को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्होंने Trump Tariff (शुल्क) को अमेरिका की आर्थिक ताकत और सुरक्षा का आधार बताया है।Trump Tariff ने दावा किया कि अमेरिका हर दिन Trump Tariff से करोड़ों डॉलर की कमाई कर रहा है, जो न केवल घरेलू खजाने को भर रहा है, बल्कि देश को आत्मनिर्भर और सुरक्षित भी बना रहा है।

Trump Tariff क्या है और कैसे होता है काम?

Trump Tariff एक प्रकार का आयात शुल्क होता है जो सरकारें विदेशों से आयात किए गए सामान पर लगाती हैं। इसका उद्देश्य दो प्रमुख होता है — विदेशी सामान को महंगा बनाकर घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना और दूसरे, सरकार की आमदनी बढ़ाना। Trump Tariff प्रशासन ने अपने कार्यकाल में चीन, यूरोप, कनाडा और भारत सहित कई देशों से आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाए थे।

उनका तर्क था कि अमेरिका का व्यापार घाटा (Trade Deficit) लगातार बढ़ रहा है और विदेशी कंपनियाँ अमेरिकी बाजार से अधिक लाभ कमा रही हैं। ऐसे में Trump Tariff लगाने से अमेरिका को दोहरा फायदा होगा — एक तरफ विदेशी वस्तुएं महंगी होकर प्रतिस्पर्धा से बाहर होंगी, और दूसरी ओर सरकार को राजस्व मिलेगा।

Trump Tariff का दावा: रोजाना अरबों की कमाई

हालिया एक जनसभा में ट्रंप ने कहा, “हमने टैरिफ से रोजाना करोड़ों डॉलर की कमाई की। जब चीन पर Trump Tariff लगाया, तो उन्होंने सोचा कि हम हार मान लेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। हमारे पास अरबों डॉलर आना शुरू हो गए।” उन्होंने आगे यह भी कहा कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो अमेरिका को ‘Trump Tariff नेशन’ बना देंगे, जहाँ हर देश से आयातित वस्तु पर टैक्स लगेगा।

आलोचना भी कम नहीं

Trump Tariff नीति को लेकर Trump Tariff की खूब आलोचना भी होती रही है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ से विदेशी वस्तुएं तो महंगी होती हैं, लेकिन इसका सीधा असर आम अमेरिकी नागरिक की जेब पर पड़ता है। आयात महंगा होने से घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ती है, और कई बार इससे अमेरिकी निर्यात पर भी असर पड़ता है क्योंकि देश retaliatory tariffs (जवाबी टैरिफ) लगाते हैं।

इसके बावजूद, ट्रंप समर्थक इस रणनीति को ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का हिस्सा मानते हैं। उनका मानना है कि लंबे समय तक अमेरिका को व्यापार घाटे से नुकसान उठाना पड़ा है, और ट्रंप की नीति इस असंतुलन को ठीक करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

अमेरिका का खजाना और ट्रंप की रणनीति

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, Trump Tariff प्रशासन के समय में चीन से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ से 2018 से 2020 के बीच अमेरिका को करीब 80 बिलियन डॉलर की कमाई हुई थी। यह रकम अमेरिका के खजाने में सीधे गई, जिसे बाद में सरकार ने किसानों के लिए सब्सिडी, इंफ्रास्ट्रक्चर, और अन्य योजनाओं में इस्तेमाल किया।

Trump Tariff ने बार-बार यह कहा कि “कोई भी देश अमेरिका का फायदा नहीं उठा सकता। जो देश हमारे बाजार तक पहुंच चाहते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।”

चुनावी रणनीति या स्थायी नीति?

Trump Tariff को लेकर ट्रंप की आक्रामक नीति अब 2024 के चुनावी एजेंडे का अहम हिस्सा बन चुकी है। उनके अनुसार, अगर वे सत्ता में लौटते हैं, तो टैरिफ को स्थायी और व्यापक बनाएंगे। वे इसे सिर्फ आर्थिक हथियार नहीं, बल्कि कूटनीतिक हथियार भी मानते हैं।

उनकी रणनीति में Trump Tariff का इस्तेमाल अन्य देशों पर दबाव बनाने के लिए भी किया जाता है — जैसे किसी देश से व्यापार संतुलन ठीक करना हो या उन्हें किसी विशेष नीति के लिए मजबूर करना हो।

भारत पर भी पड़ा असर

Trump Tariff की टैरिफ नीति का असर भारत पर भी पड़ा था। अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों — जैसे एल्यूमिनियम, स्टील, और फार्मा — पर शुल्क लगाया था। बदले में भारत ने भी अमेरिका के कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया था। हालांकि बाद में दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए, लेकिन यह साफ हो गया था कि ट्रंप की नीति केवल चीन तक सीमित नहीं थी।

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर अमेरिका में दो राय हो सकती हैं — एक ओर वे लोग हैं जो इसे एक साहसी कदम मानते हैं जो अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाता है, वहीं दूसरी ओर आलोचक इसे व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुँचाने वाला कदम बताते हैं।

लेकिन एक बात साफ है: ट्रंप की टैरिफ नीति ने अमेरिका के खजाने में मोटी रकम जरूर जोड़ी है, और यह अब उनकी राजनीतिक छवि का अहम हिस्सा बन चुकी है। आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिकी जनता इसे किस रूप में स्वीकार करती है — एक आर्थिक जीत के रूप में या आम जनता की जेब पर बोझ के रूप में।

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