Germany.की नौकरी छोड़ी, गांव में खड़ा किया 1 करोड़ का बिजनेस!

आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने Germany.आरामदायक विदेशी नौकरी को अलविदा कहकर अपने देश लौटने का फैसला किया। न सिर्फ लौटे, बल्कि गांव में रहकर एक ऐसा बिजनेस मॉडल खड़ा किया जो आज 1 करोड़ रुपये का टर्नओवर पार कर चुका है। यह कहानी है अविनाश शर्मा की, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों और इरादे मजबूत, तो कामयाबी दूर नहीं।
विदेशी नौकरी का सपना पूरा किया
अविनाश शर्मा उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं। Germany. पढ़ाई में शुरू से ही होशियार अविनाश ने इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद जर्मनी की एक प्रतिष्ठित ऑटोमोबाइल कंपनी में नौकरी हासिल की। वहां की सैलरी, सुविधाएं और जीवनशैली देखकर हर कोई ईर्ष्या करता था। लेकिन अविनाश के दिल में हमेशा से अपने गांव और देश के लिए कुछ करने की ललक थी।
देश वापसी का बड़ा फैसला

करीब 6 साल Germany. में नौकरी करने के बाद अविनाश ने एक दिन बड़ा फैसला लिया – अपनी विदेशी नौकरी को छोड़कर भारत लौटने का। यह फैसला आसान नहीं था। परिवार और दोस्तों ने भी पहले मना किया, लेकिन अविनाश का मन गांव की मिट्टी में कुछ नया करने के लिए मचल रहा था।
शुरुआत की जैविक खेती से
भारत लौटकर अविनाश ने सबसे पहले अपने गांव में उपलब्ध संसाधनों का अध्ययन किया। उन्हें एहसास हुआ कि आज के समय में जैविक खेती की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन ग्रामीण किसानों को इसकी सही जानकारी नहीं है। उन्होंने खुद रिसर्च की, ट्रेनिंग ली और गांव के आसपास की 10 बीघा जमीन पर जैविक खेती की शुरुआत की।
किसान नहीं, एग्रीप्रेन्योर बने
अविनाश ने पारंपरिक खेती की बजाय उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल शुरू किया। ड्रिप इरिगेशन, कंपोस्ट खाद, और बिना केमिकल वाले उत्पादन से उन्होंने जैविक सब्जियां, फल और अनाज उगाना शुरू किया। उन्होंने अपने प्रोडक्ट को “Village Fresh” नाम से ब्रांड किया और स्थानीय शहरों के अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बेचना शुरू किया।
गांव के युवाओं को जोड़ा रोजगार से
अविनाश ने यह काम अकेले नहीं किया। उन्होंने गांव के युवाओं को ट्रेनिंग दी, उन्हें रोजगार दिया और एक टीम तैयार की जो खेतों से लेकर मार्केटिंग तक में सहयोग करती है। उन्होंने एक छोटा Germany. प्रोसेसिंग यूनिट भी खड़ा किया जहाँ सब्जियों की सफाई, पैकिंग और लेबलिंग की जाती है।
1 करोड़ का टर्नओवर, और बढ़ती मांग
आज “Village Fresh” ब्रांड का सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है। Germany. दिल्ली, लखनऊ, नोएडा और बनारस जैसे शहरों में उनके प्रोडक्ट की जबरदस्त मांग है। लोग शुद्ध, जैविक और ताज़ा उत्पाद खरीदने के लिए प्री-बुकिंग कराते हैं।

चुनौतियों से नहीं घबराए
अविनाश के इस सफर में कई उतार-चढ़ाव भी आए। शुरुआत में लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया – “जर्मनी से आकर खेती करेगा?” लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। सरकारी योजनाओं और कृषि विभाग की मदद से उन्होंने अपने काम को लगातार बेहतर किया।
सरकार और मीडिया का मिला समर्थन
अविनाश की मेहनत को देखते हुए राज्य सरकार ने भी उन्हें सम्मानित किया। उन्हें युवा किसानों के लिए रोल मॉडल के रूप में बुलाया जाता है। कई मीडिया चैनलों और यूट्यूब वीडियोज में उनकी कहानी दिखाई जा चुकी है, जिससे देशभर के युवाओं को प्रेरणा मिली है।
अविनाश का संदेश
अविनाश का मानना है कि अगर आपके पास विजन है, तो संसाधन अपने आप मिल जाते हैं। उनका कहना है,
“विदेश में नौकरी करना बुरा नहीं है, लेकिन अगर अपने गांव में रहकर 10 लोगों को साथ लेकर चल सको, तो वो असली सक्सेस है।”
भविष्य की योजना
अब अविनाश एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की योजना पर काम कर रहे हैं जिससे गांव में और भी अधिक रोजगार उत्पन्न हो सके। वे जैविक खेती से बने उत्पादों की वैल्यू एडिशन कर मुरब्बा, अचार, हर्बल जूस जैसे नए प्रोडक्ट्स लॉन्च करना चाहते हैं।
निष्कर्ष
अविनाश शर्मा जैसे लोग आज के भारत की असली पहचान हैं। जो सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए सोचते हैं। उनकी यह कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह साबित करती है कि अगर सोच नई हो और मेहनत सच्ची हो, तो सफलता निश्चित है – चाहे वह किसी विदेशी कंपनी में हो या अपने गांव की मिट्टी में।