Jharkhand राजनीति: रघुवर दास या बिद्युत महतो को मिल सकती है कमान, भाजपा के सामने तीन बड़ी चुनौतियां!
Jharkhand की राजनीति में इस समय बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सामने राज्य में नेतृत्व को लेकर गंभीर चर्चा हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और सांसद बिद्युत महतो का नाम Jharkhand भाजपा के अगले संभावित नेता के रूप में उभर रहा है। हालांकि, पार्टी को इससे पहले तीन बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा, जो उसके आगामी रणनीति और जनाधार पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।
आइए जानते हैं किJharkhand में भाजपा की स्थिति क्या है, नेतृत्व परिवर्तन की संभावना क्यों बढ़ रही है, और पार्टी के सामने कौन-सी तीन प्रमुख चुनौतियां हैं।

1. Jharkhand में भाजपा का वर्तमान परिदृश्य
Jharkhand में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में काफी बदल गई है। एक समय पर रघुवर दास के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 से 2019 तक सरकार चलाई थी, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस गठबंधन ने सत्ता हासिल की, और हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने।
हालांकि, अब परिस्थितियां बदल रही हैं।Jharkhand में भाजपा एक बार फिर अपनी स्थिति मजबूत करने और सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है। इस प्रक्रिया में, नए नेता की तलाश और पार्टी के संगठन को मजबूत करने की रणनीति बन रही है।
2. रघुवर दास vs बिद्युत महतो – कौन बनेगा अगला नेतृत्वकर्ता?
झारखंड में भाजपा नेतृत्व को लेकर दो बड़े नाम सामने आ रहे हैं –
- रघुवर दास: Jharkhand के पूर्व मुख्यमंत्री, जो पार्टी के अनुभवी नेताओं में से एक हैं। रघुवर दास की छवि एक सख्त प्रशासक की रही है, लेकिन 2019 में हार के बाद पार्टी उनके नेतृत्व पर दोबारा विचार कर रही है।
- बिद्युत महतो :Jharkhand के जमशेदपुर से सांसद, जो लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। उनकी मजबूत पकड़ और युवा नेताओं के साथ बेहतर संबंधों के कारण उनका नाम भी संभावित नेतृत्वकर्ताओं में शामिल किया जा रहा है।

अब सवाल यह है कि भाजपा अनुभवी नेतृत्व (रघुवर दास) पर भरोसा करेगी या नए चेहरे (बिद्युत महतो) को मौका देगी? यह फैसला भाजपा की आगामी रणनीति को तय करेगा।
3. भाजपा के सामने तीन बड़ी चुनौतियां
Jharkhand में भाजपा की राह आसान नहीं है। पार्टी को 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा चुनावों से पहले तीन बड़ी चुनौतियों का सामना करना होगा:
(i) आदिवासी वोट बैंक को साधना
Jharkhand में आदिवासी समुदाय का बड़ा प्रभाव है, और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने इस वोट बैंक पर मजबूत पकड़ बना रखी है। भाजपा को अगर सत्ता में वापसी करनी है, तो उसे आदिवासी समुदाय के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ानी होगी।
भाजपा के लिए यह चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि पार्टी को 2019 के चुनावों में आदिवासी इलाकों में हार का सामना करना पड़ा था। यदि पार्टी आदिवासी नेताओं को अधिक महत्व देती है और उनकी मांगों को उचित जगह देती है, तो वह फिर से इस वर्ग का समर्थन हासिल कर सकती है।
(ii) गुटबाजी और आंतरिक कलह को रोकना
झारखंड भाजपा में आंतरिक गुटबाजी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।
- एक धड़ा रघुवर दास के समर्थन में है, जबकि
- दूसरा धड़ा बिद्युत महतो और अन्य स्थानीय नेताओं को आगे लाने की कोशिश कर रहा है।
अगर भाजपा को 2024 और 2025 के चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करना है, तो उसे अपने अंदरूनी विवादों को खत्म कर एकजुट रणनीति बनानी होगी।

(iii) हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मजबूत रणनीति बनाना
Jharkhand में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ भाजपा कई मुद्दों को लेकर हमलावर रही है, लेकिन अब तक पार्टी कोई बड़ा जनआंदोलन खड़ा नहीं कर पाई है।
- भ्रष्टाचार के आरोप,
- बेरोजगारी की समस्या, और
- कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर भाजपा को मजबूती से जनता के बीच जाना होगा।
अगर भाजपा इन मुद्दों को सही तरीके से उठाती है, तो वह हेमंत सोरेन सरकार को कमजोर कर सकती है और अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।
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