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संसद में हंगामा: डीके shivkumar के बयान पर रिजिजू और खरगे में तीखी बहस2025

संसद में हंगामा: डीके shivkumar के बयान पर रिजिजू और खरगे में तीखी बहस

भारतीय संसद, लोकतंत्र का मंदिर, अक्सर गंभीर मुद्दों पर चर्चा और बहस का गवाह बनता है। हालांकि, कभी-कभी ये बहसें इतनी तीखी हो जाती हैं कि सदन में हंगामा मच जाता है। हाल ही में, ऐसा ही कुछ देखने को मिला जब कांग्रेस नेता डीके shivkumar के एक कथित बयान को लेकर कानून मंत्री किरेन रिजिजू और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आमने-सामने आ गए। यह घटनाक्रम संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हुआ और इसने राजनीतिक गलियारों में गर्मी ला दी।

दरअसल, डीके shivkumar का एक कथित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें उन पर संविधान बदलने की बात कहने का आरोप लगाया गया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बयान को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला और इसे संविधान का अपमान बताया। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में इस मुद्दे को उठाया और कांग्रेस से इस पर स्पष्टीकरण मांगा।

रिजिजू ने कहा कि डीके shivkumar का बयान बेहद गंभीर है और यह संविधान के प्रति अनादर दिखाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह डीके shivkumar के बयान से सहमत है या नहीं। रिजिजू ने यह भी कहा कि संविधान भारत की आत्मा है और किसी को भी इसे बदलने की बात नहीं करनी चाहिए।

इसके जवाब में, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को जानबूझकर तूल दे रही है। उन्होंने कहा कि डीके shivkumar ने कभी भी संविधान बदलने की बात नहीं कही। खरगे ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार संविधान को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और वह इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के आरोप लगा रही है।

रिजिजू और खरगे के बीच बहस इतनी तीखी हो गई कि दोनों नेता एक-दूसरे पर झूठ बोलने का आरोप लगाने लगे। रिजिजू ने कहा कि खरगे डीके shivkumar के बयान को लेकर झूठ बोल रहे हैं, जबकि खरगे ने कहा कि रिजिजू इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहे हैं।

इस दौरान, दोनों दलों के सांसदों ने भी हंगामा मचाना शुरू कर दिया, जिसके कारण सदन में कुछ समय के लिए कार्यवाही बाधित हो गई। बाद में, लोकसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया और सदस्यों से शांत रहने की अपील की।

यह घटनाक्रम दिखाता है कि भारतीय राजनीति में विचारधाराओं के बीच कितना गहरा मतभेद है। संविधान, जो भारत के लोकतंत्र की नींव है, अक्सर राजनीतिक दलों के बीच विवाद का विषय बन जाता है।

डीके shivkumar के बयान पर विवाद के बाद, कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इस पर अपनी राय दी है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि डीके shivkumar का बयान गैर जिम्मेदाराना था और उन्हें इस पर माफी मांगनी चाहिए। वहीं, कुछ अन्य विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस मुद्दे को जानबूझकर तूल दे रही है ताकि वह कांग्रेस को बदनाम कर सके।

इस घटनाक्रम के बाद, डीके shivkumar ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि उनका संविधान बदलने का कोई इरादा नहीं था और वह हमेशा संविधान का सम्मान करते हैं।

डीके shivkumar ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में कानूनी सलाह लेंगे और जरूरत पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी करेंगे।

इस घटनाक्रम का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा, यह कहना अभी मुश्किल है। हालांकि, यह निश्चित है कि इस मुद्दे ने कांग्रेस और भाजपा के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और भी खराब कर दिया है। आने वाले दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा किस दिशा में आगे बढ़ता है और इसका भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

यह घटनाक्रम हमें यह भी याद दिलाता है कि राजनेताओं को अपने बयानों को लेकर सावधान रहना चाहिए। उनके बयानों का गलत अर्थ निकाला जा सकता है और इससे राजनीतिक विवाद पैदा हो सकते हैं।

संसद, एक ऐसा मंच है जहां राष्ट्र के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और बहस होनी चाहिए। हालांकि, जब राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगते हैं, तो इससे सदन की कार्यवाही बाधित होती है और जनता का विश्वास कम होता है।

इसलिए, यह जरूरी है कि राजनेता सदन में मर्यादा बनाए रखें और गंभीर मुद्दों पर रचनात्मक बहस करें। इससे न केवल सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेगी, बल्कि जनता का लोकतंत्र में विश्वास भी बना रहेगा।

अंत में, डीके shivkumar के बयान पर संसद में हुआ हंगामा भारतीय राजनीति का एक दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है। यह घटनाक्रम हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने शब्दों को लेकर सावधान रहना चाहिए और हमेशा संविधान का सम्मान करना चाहिए। साथ ही, राजनेताओं को सदन में मर्यादा बनाए रखनी चाहिए और गंभीर मुद्दों पर रचनात्मक बहस करनी चाहिए।

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