US China Tariff War: Trump के टैरिफ पर Xi Jinping का प्लान कैसे हुआ फेल? | USA

बीते कुछ वर्षों में वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह चीन पर भारी-भरकम टैरिफ (आयात शुल्क) लगाए, उसने न केवल दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव पैदा किया, US Chinaबल्कि वैश्विक सप्लाई चेन पर भी असर डाला। वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इन टैरिफ का सामना करने के लिए जो रणनीतियाँ अपनाईं, वे उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं रहीं। इस लेख में हम जानेंगे कि ट्रंप की टैरिफ नीति क्या थी, शी जिनपिंग ने क्या किया, और क्यों उनका प्लान फेल हो गया।
🇺🇸 ट्रंप की टैरिफ नीति: ‘अमेरिका फर्स्ट’ की रणनीति
2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने “अमेरिका फर्स्ट” की नीति के तहतUS China चीन से आने वाले सैकड़ों अरब डॉलर के सामान पर आयात शुल्क (tariff) लगा दिया। ट्रंप का कहना था कि चीन “अनुचित व्यापार प्रथाओं” का पालन कर रहा है — जैसे कि बौद्धिक संपदा की चोरी, अमेरिकी तकनीकी कंपनियों पर दबाव, और असमान व्यापार संतुलन।
ट्रंप प्रशासन ने शुरू में 34 अरब डॉलर US Chinaके चीनी सामान पर 25% टैरिफ लगाया और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर लगभग 550 अरब डॉलर तक कर दिया। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाए।
🇨🇳 शी जिनपिंग की प्रतिक्रिया और रणनीति
शी जिनपिंग ने ट्रंप की इस आक्रामक टैरिफ नीति को जवाब देने के लिए कई तरह की रणनीतियाँ अपनाईं:

- जवाबी टैरिफ: चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों, ऑटोमोबाइल, और ऊर्जा उत्पादों पर टैरिफ लगाए ताकि अमेरिकी किसानों और कंपनियों पर असर पड़े।
- “Dual Circulation” नीति: शी जिनपिंग ने घरेलू मांग को बढ़ावा देने और विदेशों पर निर्भरता घटाने के लिए इस नीति को बढ़ावा दिया। इसका उद्देश्य था कि अगर निर्यात प्रभावित हो, तो घरेलू खपत से अर्थव्यवस्था को संभाला जाए।
- आंतरिक सपोर्ट सिस्टम: चीन सरकार ने अपने उद्योगोंUS China को सब्सिडी दी, टैक्स रियायतें दीं और छोटे-बड़े उद्योगों के लिए वित्तीय सहायता योजनाएं चलाईं।
- नई व्यापार साझेदारियाँ: चीन ने अमेरिका के अलावा यूरोप, अफ्रीका, और एशिया के कई देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश की, और RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) जैसे समझौतों में भाग लिया।
❌ लेकिन प्लान क्यों फेल हो गया?
शी जिनपिंग की योजनाएं कागज़ पर मजबूत लग रही थीं,US China लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और निकली। निम्नलिखित कारणों से यह रणनीति प्रभावशाली नहीं बन पाई:
1. अमेरिका से व्यापारिक निर्भरता घटाना आसान नहीं था
चीन की अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर निर्यात-आधारित है और अमेरिकी बाजार चीन के लिए सबसे बड़े निर्यात गंतव्यों में से एक है। ट्रंप के टैरिफ के कारण अमेरिकी कंपनियों ने चीन से सामान लेना कम कर दिया और वैकल्पिक देशों की ओर रुख किया, जैसे वियतनाम, बांग्लादेश और भारत। इससे चीन का निर्यात प्रभावित हुआ।
2. घरेलू खपत उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ी
“Dual Circulation” की नीति में घरेलू खपत को बढ़ाने की बात US Chinaकही गई थी, लेकिन चीन में उपभोक्ता मांग उतनी तेज़ नहीं बढ़ी जितनी अपेक्षा थी। बेरोज़गारी, रियल एस्टेट संकट (जैसे कि एवरग्रैंड क्राइसिस), और कोविड के बाद की आर्थिक सुस्ती ने घरेलू खपत को सीमित कर दिया।
3. कंपनियों का पलायन
बहुत-सी विदेशी कंपनियों ने चीन से मैन्युफैक्चरिंगUS China हटाकर अन्य देशों में शिफ्ट करना शुरू कर दिया। Apple, Samsung, और अन्य टेक कंपनियों ने अपनी उत्पादन इकाइयाँ वियतनाम, भारत आदि में लगाने शुरू किए, जिससे चीन का औद्योगिक उत्पादन भी प्रभावित हुआ।
4. राजनीतिक छवि पर भी असर पड़ा
शी जिनपिंग की वैश्विक रणनीति को इस व्यापारUS China युद्ध से झटका लगा। चीन “विश्व नेतृत्व” की भूमिका निभाना चाहता था, लेकिन अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव और व्यापार में गिरावट ने चीन की इस छवि को नुकसान पहुंचाया।
5. बाजारों में अनिश्चितता और निवेश में गिरावट

अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा हिल गया। टैरिफ युद्ध की वजह से चीन में विदेशी निवेश में गिरावट आई, जिससे आर्थिक वृद्धि दर प्रभावित हुई।
📉 आर्थिक आंकड़ों में असर
- चीन की GDP वृद्धि दर 2018-2020 के दौरान धीमी हुई।
- निर्यात में गिरावट और टेक कंपनियों पर दबाव बढ़ा।
- चीन का व्यापार अधिशेष अमेरिका के साथUS China घटने लगा।
- स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव बढ़ गया।
🇺🇸 ट्रंप की योजना क्यों कारगर रही?
ट्रंप की टैरिफ नीति का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक भी था — अमेरिका की टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग को वापस लाना, चीन पर दबाव बनाना, और राजनीतिक लाभ लेना। अमेरिका ने इसके साथ-साथ घरेलू कंपनियों को सब्सिडी और टैक्स राहत भी दी, जिससे नुकसान की भरपाई हो सकी।
🤝 आगे का रास्ता
जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद कुछ रणनीतियाँ बदली हैं,US China लेकिन टैरिफ का बड़ा हिस्सा अब भी लागू है। अमेरिका अब भी चीन पर तकनीकी और सैन्य दबाव बनाए हुए है।
वहीं, चीन अब “मेड इन चाइना 2025” जैसी योजनाओं पर ध्यान दे रहा है ताकि वह हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर हो सके।
🔚 निष्कर्ष
ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच चला यह टैरिफ US Chinaयुद्ध सिर्फ दो देशों की व्यापारिक लड़ाई नहीं थी — यह भविष्य की वैश्विक सत्ता की दिशा तय करने वाला एक बड़ा संघर्ष था। ट्रंप के टैरिफ ने चीनी रणनीति की कमज़ोरियों को उजागर कर दिया और शी जिनपिंग की योजनाओं को पीछे धकेल दिया। आने वाले वर्षों में यह देखना दिलचस्प होगा कि US Chinaक्या चीन इससे उबर पाएगा और कैसे अमेरिकाUS China अपनी पकड़ बनाए रखेगा।
April 12, 2025 by KN@nowlive