Waqf Bill: क्या नया वक्फ कानून कोर्ट में हो जाएगा खारिज? सभापति ने सिंघवी को लगाई फटकार
भारत में वक्फ संपत्तियों को लेकर लंबे समय से विवाद और बहस होती रही है। इसी कड़ी में, सरकार द्वारा प्रस्तावित नया वक्फ बिल (Waqf Bill) संसद में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस Waqf Bill को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस देखने को मिली, जिसमें राज्यसभा के सभापति और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी के बीच नोकझोंक भी हो गई।

Waqf Bill के प्रावधानों को लेकर विपक्ष का कहना है कि यह संविधान के संपत्ति संबंधी अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है और यदि इसे कानून बनाया गया तो यह अदालत में चुनौती का सामना कर सकता है। इस बीच, सरकार का कहना है कि नया वक्फ कानून पारदर्शिता और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए लाया गया है।
क्या नया वक्फ कानून कोर्ट में टिक पाएगा?
विपक्ष और कई कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नया वक्फ कानून निजी संपत्ति के अधिकारों को प्रभावित करता है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 300A का उल्लंघन हो सकता है। अनुच्छेद 300A कहता है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से कानूनी प्रक्रिया के बिना वंचित नहीं किया जा सकता।
अक्सर देखा गया है कि वक्फ बोर्ड कई संपत्तियों पर बिना पर्याप्त कानूनी प्रक्रिया के दावा करता है, जिससे संपत्ति मालिकों को परेशानी होती है। यदि इस नए Waqf Billमें ऐसे कोई प्रावधान हैं, जो व्यक्तिगत संपत्तियों पर सरकारी या धार्मिक नियंत्रण को बढ़ावा देते हैं, तो यह कानून सुप्रीम कोर्ट में चुनौती का सामना कर सकता है।
राज्यसभा में गरमाई बहस
इस Waqf Bill पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में माहौल गर्मा गया। जब कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने बिल के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाने की कोशिश की, तो सभापति ने उन्हें बीच में ही रोक दिया और सख्त लहजे में फटकार लगाई।

सभापति ने कहा, “एक सांसद को अपनी मर्यादा में रहकर बोलना चाहिए। आपको विषय से भटकने की जरूरत नहीं है।” इसके जवाब में सिंघवी ने अपनी बात रखने की कोशिश की, लेकिन सभापति ने उन्हें आगे बोलने की अनुमति नहीं दी।
विपक्ष के मुख्य तर्क
विपक्ष ने इस बिल के खिलाफ कई तर्क दिए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- संपत्ति विवाद:
- विपक्ष का दावा है कि इस कानून के बाद Waqf Bill बोर्ड को निजी संपत्तियों पर दावा करने का असीमित अधिकार मिल सकता है।
- कई लोग पहले भी शिकायत कर चुके हैं किWaqf Bill बोर्ड बिना नोटिस दिए किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कर देता है।
- संवैधानिक वैधता:
- विपक्ष और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस कानून में संविधान के अनुच्छेद 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन हुआ, तो यह सुप्रीम कोर्ट में टिक नहीं पाएगा।
- कोर्ट में चुनौती:
- विपक्षी दलों का कहना है कि यदि यह बिल पास होता है, तो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
- कई कानूनी विशेषज्ञों ने भी इसे संविधान विरोधी करार दिया है।
- राजनीतिक एजेंडा:
- कुछ दलों ने इसे सरकार की अल्पसंख्यक वोट बैंक राजनीति से प्रेरित बताया है।
सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि यह नया वक्फ कानून Waqf Bill संपत्तियों की सुरक्षा और पारदर्शी प्रबंधन के लिए लाया गया है। सरकार के अनुसार:
- इस कानून से वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रुकेगा।
- अवैध अतिक्रमण और धोखाधड़ी पर लगाम लगेगी।
- वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा।
क्या यह कानून कोर्ट में बच पाएगा?
अगर इस Waqf Billको अदालत में चुनौती दी जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट निम्नलिखित सवालों पर विचार कर सकता है:

- क्या यह Waqf Bill नागरिकों के संपत्ति अधिकारों का हनन करता है?
- क्या इसमें उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है?
- क्या वक्फ बोर्ड को असंवैधानिक तरीके से अधिक शक्ति दी जा रही है?
यदि सुप्रीम कोर्ट पाता है कि इस कानून से संविधान का उल्लंघन हो रहा है, तो यह रद्द हो सकता है या इसमें संशोधन की जरूरत पड़ सकती है।
निष्कर्ष
नए Waqf Bill को लेकर बहस तेज हो गई है। राज्यसभा में इस मुद्दे पर तीखी बहस हुई, जिसमें सभापति और अभिषेक मनु सिंघवी के बीच टकराव देखने को मिला। विपक्ष का तर्क है कि यह बिल कोर्ट में खारिज हो सकता है, जबकि सरकार का दावा है कि यह पारदर्शिता और कानून व्यवस्था को मजबूत करेगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि यह बिल संसद में पास होता है या नहीं, और यदि होता है, तो क्या इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी? यदि हां, तो क्या यह संविधान की कसौटी पर खरा उतर पाएगा?
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