jallianwala बाग की अनकही कहानी ‘केसरी चैप्टर 2’ में, एक्टर ने की तारीफ, बताया क्यों न करें मिस
मुंबई: भारतीय इतिहास के पन्नों में jallianwala बाग हत्याकांड एक ऐसा काला अध्याय है, जिसका दर्द आज भी हर भारतीय महसूस करता है। इस वीभत्स नरसंहार पर कई फिल्में और वृत्तचित्र बने हैं, जिन्होंने हमें उस त्रासदी की भयावहता से रूबरू कराया है। लेकिन अब, कथित तौर पर ‘केसरी चैप्टर 2’ नामक एक नई प्रस्तुति इस घटना के कुछ अनकहे और अनछुए पहलुओं को सामने लाने का दावा कर रही है। हाल ही में, फिल्म जगत के एक जाने-माने अभिनेता ने इस विशेष प्रस्तुति को देखा और वह इसके चित्रण और भावनात्मक गहराई से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे ‘असाधारण’ और ‘हर भारतीय के लिए जरूरी’ बताया।

यह अभिनेता, जिन्होंने अपनी पहचान गुप्त रखने का अनुरोध किया, ने एक विशेष स्क्रीनिंग में ‘केसरी चैप्टर 2’ देखी। बताया जा रहा है कि यह प्रस्तुति, जो संभवतः एक फिल्म या वेब सीरीज हो सकती है, सिर्फ 13 अप्रैल 1919 की घटना पर ही केंद्रित नहीं है, बल्कि उसके आगे-पीछे की परिस्थितियों, पीड़ितों के परिवारों के संघर्ष और उस दौर के सामाजिक-राजनीतिक माहौल पर भी रोशनी डालती है। ‘केसरी’ (2019) फिल्म, जो सारागढ़ी की लड़ाई पर आधारित थी और वीरता एवं बलिदान की कहानी कहती थी, के नाम से जुड़े होने के कारण ‘चैप्टर 2’ से भी उम्मीदें जुड़ी हैं, हालांकि यह स्पष्ट है कि इसका विषय पूरी तरह से अलग और कहीं अधिक त्रासद है।
अभिनेता का अनुभव: क्यों रह गए दंग?
शो देखने के बाद अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए, अभिनेता ने कहा, “मैं स्तब्ध हूं। हम सबने jallianwala बाग के बारे में पढ़ा और सुना है, लेकिन ‘केसरी चैप्टर 2’ ने मुझे उस घटना के मानवीय पहलू से इस तरह जोड़ा जैसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ था। यह सिर्फ तथ्यों का संग्रह नहीं है, यह उन लोगों की कहानियां हैं जिनकी आवाजें इतिहास के शोर में कहीं दब गई थीं।”
उन्होंने आगे कहा, “मेकर्स ने जिस संवेदनशीलता और गहराई से इस विषय को संभाला है, वह काबिले तारीफ है। रिसर्च वर्क साफ झलकता है। कई ऐसे छोटे-छोटे विवरण, पीड़ितों के व्यक्तिगत संघर्ष, उनके परिवारों पर गु निर्माण के अंतिम चरणों में है। हाल ही में, फिल्म जगत के एक जाने-माने अभिनेता को इसे देखने का अवसर मिला और वह इसके चित्रण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसे ‘दंग कर देने वाला’ बताया और दर्शकों से इसे किसी भी कीमत पर मिस न करने की अपील की।
jallianwala बाग: एक कभी न भरने वाला घाव
13 अप्रैल, 1919, बैसाखी का दिन। पंजाब के अमृतसर स्थित jallianwala बाग में हजारों निहत्थे भारतीय, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे, शांतिपूर्ण तरीके से रोलेट एक्ट के विरोध में सभा कर रहे थे। तभी ब्रिटिश ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड डायर के आदेश पर सैनिकों ने बिना किसी चेतावनी के भीड़ पर गोलियां बरसा दीं। बाग से बाहर निकलने का रास्ता संकरा था, और कई लोग जान बचाने के लिए बाग में बने कुएं में कूद गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए, हालांकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक मानी जाती है। इस नृशंस हत्याकांड ने ब्रिटिश राज के क्रूर चेहरे को उजागर किया और महात्मा गांधी समेत पूरे देश को स्तब्ध कर दिया, जिसने स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी।
‘केसरी चैप्टर 2’: क्या है अनकही कहानी?
हालांकि jallianwala बाग की घटना के बारे में अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन ‘केसरी चैप्टर 2’ के बारे में कहा जा रहा है कि यह उन व्यक्तिगत कहानियों, उन अनकहे पहलुओं और उस दिन के बाद के घटनाक्रमों पर केंद्रित है जो मुख्यधारा की चर्चाओं से अक्सर बाहर रह जाते हैं। क्या यह उन परिवारों की कहानी है जिन्होंने अपनों को खो दिया? क्या यह उन गुमनाम नायकों की दास्तां है जिन्होंने उस दिन साहस का परिचय दिया? या यह उस जांच (हंटर कमीशन) की अंदरूनी कहानी है जिसने लीपापोती करने की कोशिश की? या फिर यह उधम सिंह जैसे क्रांतिकारियों के संकल्प की कहानी है जिन्होंने इस नरसंहार का बदला लेने की कसम खाई?

‘केसरी’ नाम, जो मूल रूप से 2019 की फिल्म में सारागढ़ी की लड़ाई के सिख सैनिकों के बलिदान और वीरता से जुड़ा था, यहां शायद jallianwala बाग के शहीदों के बलिदान और उस घटना से उपजे प्रतिरोध के केसरिया रंग (साहस और त्याग का प्रतीक) को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया गया हो। यह प्रस्तुति, चाहे फिल्म हो या वेब सीरीज, निश्चित रूप से निर्माताओं के लिए एक बड़ी चुनौती रही होगी – इतिहास के प्रति ईमानदार रहना, भावनाओं को संवेदनशीलता से चित्रित करना और एक ऐसी कहानी बताना जो दर्शकों को बांधे रखे और सोचने पर मजबूर करे।
अभिनेता की प्रतिक्रिया: “रोंगटे खड़े हो गए”
जिस अभिनेता ने ‘केसरी चैप्टर 2’ को देखा, उन्होंने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर अपना अनुभव साझा किया। उनके अनुसार, “यह सिर्फ एक फिल्म या कहानी नहीं है, यह इतिहास के उस पन्ने का जीवंत चित्रण है जिसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। जिस तरह से मेकर्स ने रिसर्च की है और उस दिन की भयावहता, लोगों की पीड़ा और उसके बाद के परिणामों को दर्शाया है, वह अकल्पनीय है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम अक्सर बड़ी घटनाओं के बारे में पढ़ते हैं, लेकिन उन घटनाओं के भीतर की मानवीय कहानियों को भूल जाते हैं। यह प्रस्तुति उन्हीं कहानियों को सामने लाती है। यह दिखाती है कि कैसे आम लोग असाधारण परिस्थितियों में फंस गए और कैसे उस एक दिन ने अनगिनत जिंदगियों को हमेशा के लिए बदल दिया।” अभिनेता ने विशेष रूप से निर्देशन, पटकथा और कलाकारों के प्रदर्शन की सराहना की, जिन्होंने किरदारों में जान डाल दी है।
क्यों न करें मिस?
अभिनेता ने जोर देकर कहा कि यह कृति हर भारतीय को देखनी चाहिए। उनके शब्दों में, “इसे मिस मत करना। यह सिर्फ मनोरंजन नहीं है, यह इतिहास को जानने, अपने शहीदों को श्रद्धांजलि देने और यह समझने का एक अवसर है कि हमें आजादी कितनी कुर्बानियों के बाद मिली है। यह आपको अंदर तक झकझोर देगी, लेकिन यह जरूरी है। नई पीढ़ी को यह जानना ही चाहिए कि उनके पूर्वजों ने क्या सहा है।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि प्रस्तुति केवल त्रासदी पर ही केंद्रित नहीं है, बल्कि यह मानवीय लचीलेपन, साहस और अन्याय के खिलाफ खड़े होने की भावना को भी उजागर करती है। यह दिखाती है कि कैसे सबसे अंधकारमय क्षणों में भी उम्मीद की किरणें फूट सकती हैं।

निष्कर्ष
‘केसरी चैप्टर 2’ (या जो भी इसका अंतिम नाम हो) का वादा jallianwala बाग नरसंहार की एक मार्मिक और संभवतः अनदेखी तस्वीर पेश करना है। एक अनुभवी अभिनेता की इतनी प्रबल प्रशंसा और सिफारिश निश्चित रूप से इसके प्रति उत्सुकता बढ़ाती है। यदि यह प्रस्तुति वास्तव में उन अनकहे पहलुओं को सफलतापूर्वक उजागर करती है और दर्शकों को भावनात्मक और बौद्धिक रूप से जोड़ पाती है, तो यह न केवल भारतीय सिनेमा की एक महत्वपूर्ण कृति साबित होगी, बल्कि इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को याद रखने और उससे सीखने का एक शक्तिशाली माध्यम भी बनेगी। यह उन हजारों आत्माओं को एक श्रद्धांजलि होगी जिन्होंने उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन अपनी जान गंवाई थी, और यह याद दिलाएगी कि स्वतंत्रता का मूल्य कितना बड़ा है। दर्शकों को निश्चित रूप से इस प्रस्तुति का इंतजार रहेगा।
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