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बंगाल हिंसा पर High Court की कड़ी फटकार, कहा- चुप नहीं रह सकते; CAPF तैनात करने के आदेश 2025

बंगाल हिंसा पर High Court की कड़ी फटकार, कहा- चुप नहीं रह सकते; CAPF तैनात करने के आदेश

पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर कलकत्ता High Court ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि राज्य में लगातार हो रही हिंसा पर केवल मूकदर्शक बने रहना स्वीकार्य नहीं है। अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तैनाती करे, ताकि राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

यह आदेश तब आया जब राज्य में पंचायत चुनाव और अन्य राजनीतिक कार्यक्रमों के दौरान हिंसा की कई घटनाएं सामने आईं, जिसमें आम नागरिकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की जान गई और संपत्ति को भारी नुकसान हुआ।


हिंसा की पृष्ठभूमि

पश्चिम बंगाल में हाल के वर्षों में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है। खासकर चुनावी माहौल में यह हिंसा और अधिक उग्र रूप धारण कर लेती है। पंचायत चुनावों के दौरान विपक्षी दलों ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर बूथ कैप्चरिंग, मारपीट, और मतदाताओं को डराने-धमकाने जैसे गंभीर आरोप लगाए।

कई स्थानों पर हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें न केवल राजनीतिक कार्यकर्ता बल्कि निर्दोष आम लोग भी घायल हुए। इसके अलावा कई घटनाओं में घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। ऐसे हालातों में आम जनता खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है।


High Court की सख्त टिप्पणी

हिंसा से जुड़ी घटनाओं पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता High Court ने राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया और कहा कि “कानून-व्यवस्था बनाए रखना केवल राज्य का काम नहीं, जब राज्य असफल हो रहा हो तो अदालत को हस्तक्षेप करना होगा। हम मूकदर्शक नहीं बन सकते।”

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव की प्रक्रिया शांतिपूर्ण और निष्पक्ष होनी चाहिए, न कि भय और हिंसा के साए में। High Court ने निर्वाचन आयोग और राज्य प्रशासन से जवाब मांगा कि हिंसा को रोकने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए।


CAPF की तैनाती का आदेश

कलकत्ता High Court ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करे, ताकि कानून-व्यवस्था बहाल की जा सके और भविष्य में होने वाली किसी भी हिंसा को रोका जा सके।

यह आदेश इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे पहले कई बार विपक्षी दलों ने राज्य में निष्पक्ष चुनाव के लिए केंद्र से सुरक्षा बलों की मांग की थी, जिसे राज्य सरकार ने गैर-जरूरी बताया था।

High Court का यह फैसला विपक्षी दलों के लिए राहत की खबर है, वहीं राज्य सरकार के लिए यह एक चेतावनी की तरह है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने में किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


राजनीतिक प्रतिक्रिया

High Court के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है। पार्टी नेताओं का कहना है कि अब लोगों को डर के बिना मतदान करने का अधिकार मिलेगा।

दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने अदालत के आदेश का सम्मान करने की बात कही, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि राज्य सरकार पहले से ही सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है। पार्टी ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए केंद्र और विपक्षी दलों पर राज्य सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाया।


सवाल राज्य की व्यवस्था पर

इस पूरे मामले में सबसे अहम सवाल राज्य सरकार की जवाबदेही पर उठता है। जब हिंसा बार-बार हो रही है और जान-माल का नुकसान हो रहा है, तब राज्य की पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।

क्या राज्य सरकार सत्ताधारी दल के दबाव में निष्पक्ष कार्रवाई करने से पीछे हट रही है? क्या आम जनता की सुरक्षा से समझौता किया जा रहा है? ये ऐसे सवाल हैं जिनका उत्तर जनता चाहती

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