Kamada Ekadashi 2025: व्रत, पूजन विधि से लेकर पारण समय तक जानें आज का पूरा शुभ मुहूर्त
Kamada Ekadashi हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत वर्ष की पहली एकादशी होती है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। 2025 में Kamada Ekadashi का व्रत विशेष योग में आ रहा है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
इस लेख में जानिए Kamada Ekadashi की व्रत कथा, पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, पारण समय, मंत्र और भोग से जुड़ी संपूर्ण जानकारी।
🗓️ Kamada Ekadashi 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त

- एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 अप्रैल 2025, सोमवार को सुबह 8:25 बजे
- एकादशी तिथि समाप्त: 8 अप्रैल 2025, मंगलवार को सुबह 10:45 बजे
- व्रत का दिन: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)
- पारण का समय: 8 अप्रैल 2025 को दोपहर 12:20 बजे से पहले
- पारण की तिथि: द्वादशी तिथि 8 अप्रैल को प्रातःकाल से प्रारंभ होकर अगले दिन तक रहेगी।
🙏 Kamada Ekadashi व्रत का महत्व
Kamada Ekadashi का वर्णन पद्म पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है। इसे व्रतों की शुरुआत माना जाता है और कहा जाता है कि यह व्रत कामनाओं की पूर्ति करने वाला है, hence the name “Kamada Ekadashi” (इच्छा पूर्ति करने वाली)। जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक करता है, उसे पापों से मुक्ति, मानसिक शांति और जीवन में इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
विष्णु भक्तों के लिए यह दिन बेहद पवित्र होता है। भगवान विष्णु के पूजन से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और वैवाहिक जीवन, संतान सुख, करियर और धन की समस्याओं में भी राहत मिलती है।
🪔 Kamada Ekadashi की पूजा विधि
Kamada Ekadashi की पूजा विधि बहुत ही सरल और प्रभावी है। इसे निम्नलिखित चरणों में किया जा सकता है:
- स्नान और संकल्प:
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। फिर व्रत का संकल्प लें — “मैं Kamada Ekadashi का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित करते हुए करूंगा।” - भगवान विष्णु का पूजन:
- भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को गंगाजल से स्नान कराएं।
- पीले पुष्प, तुलसी के पत्ते, चंदन, अक्षत, धूप-दीप से पूजन करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें।
- भगवान को फल, मिठाई और पंचामृत का भोग अर्पित करें।
- व्रत का पालन:
- Kamada Ekadashi के दिन अन्न वर्जित होता है। व्रती फलाहार या निर्जला उपवास करता है।
- दिनभर भक्ति और नाम-स्मरण में समय बिताना चाहिए।
- रात्रि जागरण:
- Kamada Ekadashi की रात को भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन व सत्संग में समय बिताएं।
- रात में दीप जलाकर श्रीहरि को प्रणाम करें।
🍛 Kamada Ekadashi व्रत में क्या खाएं, क्या न खाएं?
खा सकते हैं:

- फल (केला, पपीता, सेव, अंगूर आदि)
- ड्राई फ्रूट्स
- साबूदाना खिचड़ी
- सिंघाड़े का आटा
- कुट्टू का आटा
- समा के चावल
- दूध, दही, घी
वर्जित चीजें:
- चावल
- गेहूं व उससे बनी चीजें
- मसूर की दाल
- प्याज, लहसुन
- मांस, मदिरा
📖 Kamada Ekadashi व्रत कथा (संक्षेप में)
पुराणों के अनुसार, बहुत समय पहले रत्नपुर नगर में ललिता और उसका पति ललित नामक गंधर्व रहते थे। ललित राजसभा में गान प्रस्तुत करता था। एक बार वह अपनी पत्नी के वियोग में ध्यान न दे सका, जिससे राजा क्रोधित होकर उसे राक्षस होने का श्राप दे देता है।
ललिता को जब अपने पति की दशा का पता चलता है, तो वह वन में जाकर कई वर्षों तक तप करती है। वहां वह एक ऋषि से कामदा एकादशी व्रत का उपाय जानती है और विधिपूर्वक व्रत करती है। भगवान विष्णु की कृपा से उसका पति पुनः गंधर्व रूप में लौट आता है।
इस कथा का संदेश है कि श्रद्धा व भक्ति से किए गए व्रत से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
🕉️ Kamada Ekadashi व्रत मंत्र
- “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
- “विष्णवे नमः, माधवाय नमः, नारायणाय नमः”
इन मंत्रों का जाप Kamada Ekadashi के दिन 108 बार करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है।
🔚 पारण विधि

व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। पारण के समय भगवान विष्णु को भोग अर्पण करके, तुलसी पत्र के साथ जल अर्पित कर व्रत तोड़ें। अन्न ग्रहण करने से पहले गरीब या ब्राह्मण को भोजन और दान देना विशेष पुण्यदायी होता है।
✅ निष्कर्ष
Kamada Ekadashi व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, मानसिक एकाग्रता और अध्यात्म की ओर बढ़ने का एक मार्ग है। इस दिन श्रद्धा से उपवास, भजन, पूजन और सेवा करने से जीवन के अनेक दोषों का नाश होता है और मन को सच्चे सुख की अनुभूति होती है।
इसलिए, यदि आप भी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं, तो Kamada Ekadashi के इस शुभ अवसर पर नियमपूर्वक व्रत करें और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करें।
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