पहलगाम हमले का बदला: Indian Army ने LeT आतंकियों के ठिकानों पर कसा शिकंजा, घर किए जमींदोज
श्रीनगर – जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद Indian Army और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर एक बड़ा ऑपरेशन चलाया है। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े आतंकियों के शामिल होने की पुष्टि के बाद Indian Army ने सख्त कदम उठाते हुए दो आतंकियों के घरों को जमींदोज कर दिया। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर प्रशासन की नई नीति के तहत की गई है, जिसमें आतंकवाद को समर्थन देने वाले किसी भी प्रकार के ढांचों को ध्वस्त किया जा सकता है।

पहलगाम में क्या हुआ था?
पिछले सप्ताह पहलगाम के पास हुए एक आतंकी हमले में Indian Army का एक जवान शहीद हो गया था, जबकि दो अन्य घायल हुए थे। हमले के तुरंत बाद इलाके की घेराबंदी कर दी गई थी और बड़े स्तर पर तलाशी अभियान शुरू किया गया था। जांच के दौरान यह सामने आया कि इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े स्थानीय आतंकियों का हाथ था, जो लंबे समय से घाटी में सक्रिय थे।
कौन थे शामिल आतंकी?
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस हमले में दो प्रमुख आतंकियों की भूमिका सामने आई – मुजफ्फर अहमद और रईस लोन। दोनों दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के निवासी थे और पिछले दो वर्षों से आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय थे। इनमें से मुजफ्फर ने पाकिस्तान से ट्रेनिंग ली थी, जबकि रईस स्थानीय तौर पर भर्ती हुआ था। दोनों के खिलाफ पहले से ही कई एफआईआर दर्ज थीं, जिनमें सुरक्षाबलों पर हमले और स्थानीय नागरिकों को डराने-धमकाने के मामले शामिल थे।
सेना की कार्रवाई
पहलगाम हमले के बाद सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने सख्ती दिखाते हुए त्वरित कार्रवाई का आदेश दिया। रविवार को सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन में दोनों आतंकियों के घरों को निशाना बनाया। इन घरों को पूरी तरह से खाली करवाने के बाद विस्फोटकों की मदद से ध्वस्त किया गया।

अधिकारियों ने बताया कि यह कदम केवल आतंकियों के खिलाफ नहीं, बल्कि उन तत्वों के लिए चेतावनी है जो आतंकियों को शरण और समर्थन प्रदान करते हैं। इससे पहले भी कई बार आतंकियों के घरों को जब्त किया गया है, लेकिन इस बार प्रशासन ने इन्हें पूरी तरह से गिराने का फैसला किया, ताकि कोई दोबारा इन्हें आतंक के अड्डे के तौर पर इस्तेमाल न कर सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया
इस कार्रवाई के बाद इलाके में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुछ स्थानीय लोगों ने इसे जरूरी कदम बताया ताकि आतंकियों को सबक मिले और युवाओं में डर बना रहे, वहीं कुछ लोगों ने इसका विरोध किया और कहा कि पूरे परिवार को सजा देना न्यायोचित नहीं है।
हालांकि प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई है और केवल उन मामलों में की जाती है जहाँ घरों का सीधा उपयोग आतंकी गतिविधियों के लिए हुआ हो।
प्रशासन की चेतावनी
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) आर. आर. स्वैण ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि जो लोग आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं या उसके लिए सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। हम किसी भी आतंकी के घर को शरण स्थल नहीं बनने देंगे।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि आने वाले दिनों में इस तरह की और भी कार्रवाइयाँ की जाएंगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह कितना ही प्रभावशाली क्यों न हो।
संदेश स्पष्ट है
पहलगाम हमले के बाद Indian Army और प्रशासन की यह कार्रवाई यह साफ संकेत देती है कि अब सुरक्षा एजेंसियां केवल आतंकियों को ढूंढने और मारने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके समर्थन ढांचे को भी खत्म करने पर जोर दे रही हैं। ऐसे में यह कार्रवाई न सिर्फ आतंकियों के लिए चेतावनी है, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो उन्हें किसी भी तरह की मदद देते हैं।

निष्कर्ष
पहलगाम हमले के बाद Indian Army और जम्मू-कश्मीर पुलिस की तेज और निर्णायक कार्रवाई यह दर्शाती है कि अब भारत आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रहा है। LeT जैसे संगठनों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि भारत अब हर मोर्चे पर मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। इस कार्रवाई से घाटी में रह रहे आतंकियों और उनके समर्थकों में डर का माहौल है, और यह उम्मीद की जा रही है कि इससे आतंकवाद पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।
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