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IPL 2025: RCB vs RR मैच में अंपायरिंग का ब्लंडर! मैदानी अंपायर चूके, थर्ड अंपायर पर उठे गंभीर सवाल

IPL 2025: RCB vs RR मैच में अंपायरिंग का ब्लंडर! मैदानी अंपायर चूके, थर्ड अंपायर पर उठे गंभीर सवाल

नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 का सीजन रोमांच और ड्रामा से भरपूर रहा है, लेकिन रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) और राजस्थान रॉयल्स (RR) के बीच खेले गए एक महत्वपूर्ण मुकाबले में अंपायरिंग के स्तर पर एक ऐसा दाग लगा, जिसने न केवल मैच के नतीजे पर असर डाला, बल्कि तकनीक के इस्तेमाल और मानवीय त्रुटि की सीमाओं पर भी गंभीर बहस छेड़ दी। मैच के एक नाजुक मोड़ पर मैदानी अंपायर द्वारा की गई एक बड़ी गलती और फिर उस गलती को सुधारने में थर्ड अंपायर की विफलता ने क्रिकेट जगत में भूचाल ला दिया है। इस “अंपायरिंग ब्लंडर” ने न केवल फैंस को निराश किया, बल्कि थर्ड अंपायरिंग सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए।

मैच का महत्वपूर्ण क्षण और विवाद की जड़

यह घटना RCB की पारी के 18वें ओवर में घटी। बैंगलोर को जीत के लिए अंतिम 18 गेंदों में 45 रनों की दरकार थी और क्रीज पर विस्फोटक बल्लेबाज ग्लेन मैक्सवेल के साथ युवाIPL फिनिशर महिपाल लोमरोर मौजूद थे। राजस्थान रॉयल्स की ओर से तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा गेंदबाजी कर रहे थे। ओवर की चौथी गेंद पर मैक्सवेल ने एक शानदार शॉट खेला जो डीप मिडविकेट बाउंड्री की तरफ हवा में गया। फील्डर रियान पराग ने बाउंड्री लाइन IPLके बिलकुल करीब दौड़ते हुए एक बेहतरीन कैच लपका।

पहली नजर में यह एक शानदार प्रयास लगा।IPL मैदानी अंपायर (मान लीजिए नितिन मेनन) ने फील्डर के संतुलन और कैच की सफाई को देखते हुए तुरंत उंगली उठा दी। मैक्सवेल निराश दिखे, लेकिन पवेलियन की ओर लौटने लगे। हालांकि, RCB के डगआउट और कप्तान फाफ डु प्लेसिस ने इशारों में कैच की वैधता पर संदेह जताया, क्योंकि ऐसा लग रहा था कि पराग का पैर कैच पूरा करने के दौरान या तुरंत बाद बाउंड्री रोप को छू गया था।

नियमों के अनुसार, यदि कैच लेते समय या उसके तुरंत बाद फील्डर का शरीर बाउंड्री रोप या उसके पार जमीन को छू जाता है, तो उसे छक्का माना जाता है। मैदानी अंपायर नेIPL शायद फील्डर के बेहतरीन प्रयास और कैच की सफाई पर अधिक ध्यान दिया और बाउंड्री लाइन के साथ उसके संपर्क के सूक्ष्म पहलू को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने अपने साथी लेग अंपायर से संक्षिप्त चर्चा की और फिर औपचारिकता पूरी करते हुए निर्णय को पुष्टि के लिए थर्ड अंपायर (मान लीजिए वीरेंद्र शर्मा) के पास भेजा। सॉफ्ट सिग्नल ‘आउट’ दिया गया था।

थर्ड अंपायर की समीक्षा और चौंकाने वाला फैसला

स्टेडियम में लगी बड़ी स्क्रीन पर रिप्ले दिखाए जाने लगे। टीवी रीप्ले में विभिन्न एंगल से कैच को परखा गया। एक साइड-ऑन एंगल और ऊपर से देखने वाले कैमरे (स्पाइडरकैम या ड्रोन) के फुटेज में यह स्पष्ट रूप से दिख रहा था कि कैच पूरा करने के बाद संतुलन बनाते समय रियान पराग का बायां जूता बाउंड्री रोप के कुशन को छू गया था। यह संपर्क क्षणिक था, लेकिन नियमों के अनुसार यह बल्लेबाज को नॉट आउट करार देने और छक्का देने के लिए पर्याप्त था।

मैच के बाद इस फैसले की चौतरफा आलोचना हुई:

  1. मैदानी अंपायर की चूक: मैदानी अंपायर नितिनIPL मेनन की आलोचना इस बात के लिए हुई कि उन्होंने इतने महत्वपूर्ण क्षण में फील्डर के पैर और बाउंड्री रोप के संपर्क को क्यों नहीं देखा। हालांकि, लाइव एक्शन में ऐसी गलतियां मानवीय मानी जा सकती हैं, खासकर जब फील्डर का प्रयास शानदार हो।
  2. थर्ड अंपायर पर गंभीर सवाल: असली सवाल थर्ड अंपायर वीरेंद्र शर्मा पर उठे। उनके पास तकनीक थी, कई एंगल थे, और पर्याप्त समय था। इसके बावजूद, स्पष्ट सबूतों को नजरअंदाज करते हुए ‘आउट’ का फैसला देना समझ से परे था। क्या उन्होंने सॉफ्ट सिग्नल के दबाव में फैसला दिया? क्या फुटेज की व्याख्या करने में कोई चूक हुई? या फिर तकनीक ने ही कोई धोखा दिया? इन सवालों ने थर्ड अंपायरिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता और सटीकता पर संदेह पैदा कर दिया।
  3. सॉफ्ट सिग्नल का विवाद: इस घटना ने एक बार फिर सॉफ्ट सिग्नल की प्रासंगिकता पर बहस छेड़ दी। आलोचकों का कहना है कि जब थर्ड अंपायर के पास बेहतर तकनीक और रीप्ले उपलब्ध हैं, तो मैदानी अंपायर के अनुमान (जो अक्सर गलत हो सकता है) को प्राथमिकता क्यों दी जाए? सॉफ्टIPL सिग्नल कई बार थर्ड अंपायर को निष्पक्ष निर्णय लेने से हतोत्साहित करता है, खासकर जब सबूत ‘शत प्रतिशत निर्णायक’ न लग रहा हो, भले ही वह काफी हद तक स्पष्ट हो।
  4. विशेषज्ञों और फैंस का गुस्सा: क्रिकेट पंडितों, पूर्व खिलाड़ियों और फैंस ने सोशल मीडिया पर अंपायरिंग के इस स्तर पर जमकर भड़ास निकाली। सुनील गावस्कर, हर्षा भोगले, और आकाश चोपड़ा जैसे कमेंटेटर्स ने ऑन-एयर और बाद में विश्लेषण में इस फैसले को “ब्लंडर” करार दिया। #IPL2025 #UmpiringError #RCBvsRR जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
  • अंपायरों का प्रशिक्षण: थर्ड अंपायरों को जटिल रीप्ले की व्याख्या करने और दबाव में सही निर्णय लेने के लिए बेहतर प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  • सॉफ्ट सिग्नल की समीक्षा: सॉफ्ट सिग्नल के नियम पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। क्या इसे पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए, ताकि थर्ड अंपायर स्वतंत्र रूप सेIPL निर्णय ले सकें?
  • तकनीकी स्पष्टता: सुनिश्चित करना होगा कि सभी कैमरा एंगल स्पष्ट हों और तकनीक में कोई कमी न हो।
  • जवाबदेही: गलत निर्णय देने वाले अंपायरों के लिए एक जवाबदेही तंत्र होना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों से बचा जा सके

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