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bangladesh सरकार ने इंटरपोल से लगाई गुहार, शेख हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस की मांग 2025

bangladesh सरकार ने इंटरपोल से लगाई गुहार, शेख हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस की मांग

ढाका: bangladesh की सियासत में इन दिनों हलचल तेज़ है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा कदम उठाने की कोशिश की जा रही है। ताज़ा घटनाक्रम में, bangladesh सरकार ने इंटरपोल से औपचारिक तौर पर अनुरोध किया है कि वह शेख हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करे। यह कदम देश की राजनीति में एक अभूतपूर्व मोड़ माना जा रहा है, जो bangladesh की आंतरिक स्थिति और सत्ताधारी दल के भीतर चल रही खींचतान को उजागर करता है।

रेड कॉर्नर नोटिस क्या है?

रेड कॉर्नर नोटिस इंटरपोल द्वारा जारी किया जाने वाला एक प्रकार का अलर्ट होता है, जो किसी आरोपी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गिरफ्तारी के लिए होता है। यह नोटिस उस व्यक्ति के खिलाफ जारी किया जाता है जो किसी गंभीर आपराधिक मामले में वांछित होता है और जो देश छोड़कर भाग चुका होता है या किसी अन्य देश में रह रहा हो। हालांकि यह कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं होता, लेकिन यह स्थानीय पुलिस को उस व्यक्ति की पहचान कर उसे हिरासत में लेने की अनुमति देता है।

शेख हसीना के खिलाफ आरोप क्या हैं?

शेख हसीना पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। विपक्षी दलों और कुछ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि हसीना सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंटा है, पत्रकारों को डराया गया है, चुनावों में धांधली हुई है और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हुए हैं। इसके अलावा उन पर सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाए गए हैं।

हालांकि इन आरोपों को हसीना और उनकी पार्टी ‘अवामी लीग’ ने बार-बार खारिज किया है। उनका कहना है कि ये सभी आरोप विपक्ष और उनके समर्थित संगठनों द्वारा फैलाए गए हैं, जिनका उद्देश्य bangladesh को अस्थिर करना है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस घटनाक्रम ने वैश्विक स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया है। इंटरपोल जैसे प्रतिष्ठित संगठन से किसी मौजूदा या पूर्व राष्ट्राध्यक्ष के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस की मांग दुर्लभ होती है। इस स्थिति में, कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और देश bangladesh की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और न्याय प्रणाली पर सवाल उठा सकते हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाएं पहले भी bangladesh में मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता जता चुकी हैं। यदि इंटरपोल इस अनुरोध को स्वीकार करता है, तो यह शेख हसीना की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।

बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति में भूचाल

इस घटनाक्रम ने bangladesh की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। पहले से ही विपक्षी दल, खासकर बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी), हसीना सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। अब सरकार द्वारा खुद इंटरपोल से मदद मांगना यह संकेत दे सकता है कि देश के भीतर भी राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर है।

कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि यह इंटरपोल नोटिस की मांग दरअसल हसीना विरोधी शक्तियों के दबाव में लिया गया कदम हो सकता है। यह भी संभव है कि हसीना के अपने ही पार्टी में विरोधी गुट सक्रिय हो गए हों, जो उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या इंटरपोल नोटिस जारी करेगा?

इंटरपोल के पास ऐसे मामलों में विस्तृत प्रक्रिया होती है। किसी भी रेड कॉर्नर नोटिस को जारी करने से पहले वह आरोपी के खिलाफ लगे आरोपों की गहन जांच करता है, ताकि यह तय किया जा सके कि मामला राजनीतिक है या आपराधिक। यदि यह पाया गया कि मामला राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित है, तो इंटरपोल नोटिस जारी नहीं करता।

इसलिए यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगा कि शेख हसीना के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी होगा या नहीं। लेकिन इतना तय है कि इस मांग ने बांग्लादेश और दक्षिण एशिया की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है।

निष्कर्ष

शेख हसीना के खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस की मांग bangladesh की सियासत में ऐतिहासिक घटना के तौर पर देखी जा रही है। यह कदम केवल एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि एक पूरे राजनीतिक

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