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PM Modi करेंगे देश के पहले Vertical Lift पंबन ब्रिज का उद्घाटन, समुद्र में इंजीनियरिंग का कमाल 2025

PM Modi करेंगे देश के पहले Vertical Lift पंबन ब्रिज का उद्घाटन, समुद्र में इंजीनियरिंग का कमाल

PM Modi आज, 6 अप्रैल 2025 को, तमिलनाडु के रामेश्वरम में देश के पहले Vertical Lift रेलवे ब्रिज — नए पंबन ब्रिज — का उद्घाटन करेंगे। यह ब्रिज भारतीय रेलवे की आधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग कौशल का एक शानदार उदाहरण है। यह पुल न केवल तीर्थयात्रियों के लिए एक बड़ी सुविधा साबित होगा, बल्कि यह भारत की बुनियादी ढांचे की प्रगति को भी दर्शाता है।


🌉 पंबन ब्रिज का ऐतिहासिक महत्व

पंबन ब्रिज भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के मंडपम और रामेश्वरम द्वीप के बीच स्थित है। पुराने पंबन ब्रिज का निर्माण 1914 में हुआ था और यह भारत का पहला समुद्र के ऊपर बना रेलवे ब्रिज था। यह पुल 100 से अधिक वर्षों तक सेवा में रहा और रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ने का एकमात्र रेलवे मार्ग था।

हालाँकि, समय के साथ इसके रखरखाव और तकनीकी सीमाओं के कारण नया पुल बनाना ज़रूरी हो गया। ऐसे में Vertical Lift तकनीक से लैस नया पंबन ब्रिज भारतीय रेलवे की भविष्य दृष्टि का परिचायक बन गया है।


🚆 Vertical Lift पंबन ब्रिज: क्या है खास?

Vertical Lift कई मायनों में एक इंजीनियरिंग चमत्कार है। इसकी सबसे खास बात है — Vertical Lift तकनीक। इस तकनीक के जरिए ब्रिज का एक हिस्सा ऊपर उठाया जा सकता है, जिससे समुद्री जहाज आसानी से नीचे से गुजर सकें।

🔧 ब्रिज की प्रमुख विशेषताएं:

  • लंबाई: नया ब्रिज लगभग 2.078 किलोमीटर लंबा है।
  • स्पैन (गर्डर): पुल में कुल 99 स्पैन हैं, जिनमें से हर एक की लंबाई 18.3 मीटर है।
  • वर्टिकल लिफ्ट स्पैन: इसका मुख्य नेविगेशनल स्पैन 72 मीटर लंबा है, जिसे 22 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है।
  • ट्रेन गति क्षमता: इस ब्रिज पर ट्रेनें 80 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकेंगी।
  • लोड क्षमता: यह पुल मालगाड़ियों और भारी यात्री ट्रेनों दोनों के संचालन के लिए सक्षम है।

⚙️ कैसे काम करता है Vertical Lift सिस्टम?

Vertical Lift ब्रिज की संरचना इस तरह से होती है कि ब्रिज का एक हिस्सा लिफ्ट की तरह ऊपर उठता है। यह इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम से चलता है और इसे 5 मिनट के अंदर ऊपर उठाया या नीचे लाया जा सकता है। पुराने पंबन ब्रिज में स्पैन को मैन्युअली स्विंग किया जाता था, जिसमें 30-40 मिनट लगते थे।

यह प्रणाली न केवल समय बचाएगी, बल्कि सुरक्षा और परिचालन क्षमता को भी बढ़ाएगी।


🌊 समुद्र में निर्माण की चुनौती

समुद्र में ब्रिज बनाना हमेशा ही एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। इस ब्रिज के निर्माण में कई तकनीकी और पर्यावरणीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा:

  • तेज़ हवाएँ और समुद्री तूफान
  • खारे पानी से संरचना की सुरक्षा
  • समुद्री जीवन को नुकसान न पहुँचे, इसका विशेष ध्यान
  • टाइडल लेवल के अनुसार डिज़ाइनिंग

भारतीय रेलवे और इंजीनियरिंग टीम ने अत्याधुनिक तकनीक, आधुनिक मशीनरी और विशेष सामग्री का उपयोग करके इन सभी चुनौतियों को पार किया।


🚢 समुद्री यातायात को मिलेगा बढ़ावा

यह ब्रिज केवल रेलवे यातायात को ही नहीं बल्कि समुद्री यातायात को भी ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। चूंकि नेविगेशनल स्पैन को ऊपर उठाया जा सकता है, इसलिए बड़े जहाज भी आसानी से इस ब्रिज के नीचे से गुजर सकते हैं।

इससे रामेश्वरम पोर्ट के विकास को गति मिलेगी और क्षेत्र में व्यापार व पर्यटन का विस्तार होगा।


🛤️ रामेश्वरम यात्रा होगी आसान

रामेश्वरम हिंदू धर्म के चार धामों में से एक प्रमुख तीर्थ है। साल भर लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। नया ब्रिज इस यात्रा को और अधिक सुरक्षित, तेज़ और आरामदायक बनाएगा।

पुराने ब्रिज की तुलना में नया ब्रिज ट्रेनों को अधिक गति से चलने की अनुमति देगा, जिससे यात्रा का समय घटेगा।


🇮🇳 आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम

यह ब्रिज आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत भारत में ही विकसित किया गया है। इसकी डिज़ाइनिंग, इंजीनियरिंग और निर्माण में भारतीय कंपनियों और इंजीनियरों की भागीदारी रही है। यह भारत की उन्नत रेलवे तकनीक और बुनियादी ढांचे की बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।


🔚 निष्कर्ष

नया पंबन ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं है — यह एक सपनों को जोड़ने वाला सेतु है। यह भारत की तकनीकी प्रगति, इंजीनियरिंग प्रतिभा और विकास की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का जीवंत उदाहरण है। समुद्र के ऊपर यह अद्भुत रचना आने वाले वर्षों में न केवल यात्रियों के लिए बल्कि देश के लिए भी गर्व का विषय बनी रहेगी।

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