टैरिफ वार पर RBI गवर्नर की चेतावनी: ‘आर्थिक स्थिरता के लिए नीतिगत फैसलों से नहीं हिचकेंगे’
टैरिफ वार यानी व्यापार शुल्कों की जंग ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई चुनौतियों के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुई यह टकराव अब अन्य देशों की आर्थिक नीतियों और केंद्रीय बैंकों की रणनीतियों को प्रभावित कर रही है। इसी संदर्भ में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो RBI नीतिगत फैसलों से पीछे नहीं हटेगा।

वैश्विक स्तर पर बढ़ता तनाव
टैरिफ वार यानी एक देश द्वारा दूसरे देश पर आयात शुल्क लगाना और उसके जवाब में दूसरा देश भी शुल्क बढ़ा देता है—यह व्यापार में असंतुलन पैदा करता है। हाल के महीनों में अमेरिका ने कई चीनी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिए हैं, जिसका असर एशियाई बाजारों में साफ देखा गया है। भारत की अर्थव्यवस्था, RBI जो वैश्विक व्यापार पर काफी हद तक निर्भर है, इस टकराव से अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रही है।
शक्तिकांत दास का सख्त रुख
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक वित्तीय संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता और महंगाई नियंत्रण हमारी प्राथमिकता है। यदि वैश्विक परिस्थितियां और अधिक चुनौतीपूर्ण होती हैं, तो हम आवश्यकतानुसार सख्त नीतिगत कदम उठाने से नहीं हिचकिचाएंगे।” यह बयान ऐसे समय पर आया है जब देश में महंगाई दर में थोड़ी नरमी देखी गई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल और कमोडिटी की कीमतें बढ़ रही हैं।
टैरिफ वार का भारत पर असर
हालांकि भारत इस टैरिफ वार में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष असर देश के निर्यात, आयात और पूंजी प्रवाह पर पड़ रहा है। उच्च टैरिफ की वजह से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आ रही है और इससे भारतीय उद्योगों की लागत भी बढ़ रही है। टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

आरबीआई की रणनीति
RBI इस स्थिति को काफी करीब से मॉनिटर कर रहा है। गवर्नर ने संकेत दिए हैं कि रेपो रेट, CRR (कैश रिजर्व रेश्यो), और लिक्विडिटी मैनेजमेंट जैसे उपायों के माध्यम से महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने की पूरी कोशिश की जाएगी। “हम लचीले लेकिन सतर्क दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेंगे,” गवर्नर ने कहा।
निवेशकों को भरोसा दिलाने की कोशिश
गवर्नर के बयान का उद्देश्य घरेलू और विदेशी निवेशकों को यह भरोसा देना था कि भारतीय वित्तीय प्रणाली मजबूत है और किसी भी वैश्विक संकट से निपटने में सक्षम है। उन्होंने यह भी कहा कि RBI के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है और रुपये की स्थिरता बनाए रखने के लिए सभी विकल्प खुले हैं।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि RBI का यह रुख समय की मांग है। आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. अरुण मेहता कहते हैं, “RBI की सक्रियता यह दिखाती है कि संस्था केवल ब्याज दरों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि व्यापक नीतिगत दृष्टिकोण से अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए तैयार है। टैरिफ वार जैसे संकटों में यह एक सकारात्मक संकेत है।”
आगे की राह
टैरिफ RBI वार की दिशा और वैश्विक मंदी की आशंकाएं अभी बनी हुई हैं। ऐसे में RBI की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है। आने वाले समय में यदि वैश्विक बाजारों में और अस्थिरता बढ़ती है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि RBI कौन से कदम उठाता है—चाहे वह रेपो रेट में परिवर्तन हो या फिर वित्तीय बाजारों में स्थिरता लाने के लिए हस्तक्षेप।

निष्कर्ष
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का स्पष्ट संदेश यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक पूरी तरह सतर्क और तैयार है। देश की आर्थिक स्थिरता और विकास को बनाए रखने के लिए अगर कठोर कदम उठाने की जरूरत पड़े, तो RBI पीछे नहीं हटेगा। ऐसे बयानों से जहां एक ओर निवेशकों को भरोसा मिलता है, वहीं यह संकेत भी जाता है कि भारत वैश्विक अनिश्चितताओं से डरने वाला नहीं, बल्कि उनका मुकाबला करने को तैयार है।
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