आज का Panchang: 20 अप्रैल को विशेष योग में मनाई जा रही है कृष्ण जन्माष्टमी और कालाष्टमी
20 अप्रैल 2025 का Panchang धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आज के दिन एक दुर्लभ संयोग बन रहा है—मासिक कृष्ण जन्माष्टमी और कालाष्टमी दोनों एक ही दिन पड़ रही हैं।Panchang के अनुसार यह दिन भगवान श्रीकृष्ण और भगवान काल भैरव दोनों की आराधना के लिए अत्यंत फलदायक है।
यह संयोग उन श्रद्धालुओं के लिए और भी खास बन गया है जो नियमित व्रत, उपवास और साधना में लीन रहते हैं। आइए जानते हैं इस विशेष दिन का Panchang, व्रत की विधि, महत्व और इससे मिलने वाले फल।

🌙 पंचांग विवरण (Panchang Details)
- तिथि: कृष्ण पक्ष की अष्टमी, चैत्र मास
- वार: रविवार
- नक्षत्र: धनिष्ठा नक्षत्र
- योग: धृति योग
- करण: बव करण
- सूर्योदय: प्रातः 05:52 बजे
- सूर्यास्त: सायं 06:42 बजे
- चंद्रोदय: रात्रि 12:18 बजे
- चंद्र राशि: मकर राशि
धनिष्ठा नक्षत्र और धृति योग जैसे शुभ योगों के साथ आने वाली यह अष्टमी तिथि आध्यात्मिक साधना के लिए विशेष मानी जा रही है।
🕉️ मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। हालांकि, भाद्रपद मास की जन्माष्टमी सबसे प्रमुख मानी जाती है, लेकिन मासिक जन्माष्टमी भी श्रीकृष्ण उपासकों के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।
इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा करते हैं। आज रविवार का Panchang होने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है, क्योंकि रविवार सूर्य देवता का दिन है और सूर्य व श्रीकृष्ण दोनों ही तेज, ऊर्जा और जीवन के प्रतीक माने जाते हैं।

व्रत विधि:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- दिन भर फलाहार करें और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें।
- रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म का समय होता है—इस समय पंचामृत से अभिषेक करें।
- श्रीकृष्ण को माखन, मिश्री, तुलसी दल आदि का भोग लगाएं।
- आरती करें, भजन-कीर्तन करें और प्रसाद वितरित करें।
🔱 कालाष्टमी का महत्व
कालाष्टमी भगवान काल भैरव की उपासना के लिए समर्पित तिथि होती है। भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा से शत्रु बाधा, नकारात्मकता, रोग और भय का नाश होता है।
यह तिथि हर महीने आती है, लेकिन जब यह रविवार या मंगलवार को पड़े, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस बार यह रविवार को पड़ रही है, जो काल भैरव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा विधि:
- काल भैरव की मूर्ति या चित्र का गंगाजल से अभिषेक करें।
- काले तिल, नारियल, काले वस्त्र, सरसों का तेल अर्पित करें।
- तेल का दीपक जलाकर “ॐ काल भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- पूजा के बाद भैरव चालीसा और भैरव स्तोत्र का पाठ करें।
- शाम को भैरव मंदिर में दीप दान करें और कुत्तों को भोजन कराएं, क्योंकि काला कुत्ता काल भैरव का वाहन माना जाता है।
🛐 संयोग का महत्व
जब जन्माष्टमी और कालाष्टमी एक ही दिन पड़ती है, तो यह संयोग भक्तों के लिए अद्भुत फल देने वाला होता है। एक ओर जहां श्रीकृष्ण की पूजा जीवन में प्रेम, आनंद और भक्ति लाती है, वहीं काल भैरव की उपासना जीवन से भय और संकटों को दूर करती है। इस दिन व्रत रखकर दोनों देवताओं की पूजा करने से मनोकामना शीघ्र पूर्ण होती है।
🧘♀️ धार्मिक दृष्टिकोण और लाभ
- मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति।
- गृह क्लेश, कोर्ट केस, भय और बीमारी से छुटकारा।
- पारिवारिक सुख और संतान सुख में वृद्धि।
- आध्यात्मिक साधना में प्रगति और आंतरिक शक्ति में वृद्धि।

📜 निष्कर्ष
20 अप्रैल 2025 का Panchang अध्यात्म प्रेमियों के लिए अत्यंत शुभ अवसर लेकर आया है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी और कालाष्टमी का यह अद्भुत संयोग साधना, भक्ति और आस्था का केंद्र बन गया है। यदि श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत और पूजा की जाए तो निश्चित ही इस दिन का फल कई गुना बढ़कर प्राप्त होता है। भक्तों को इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहिए और ईश्वर की कृपा के पात्र बनना चाहिए।
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