Israel में हिरासत में लिए गए दो ब्रिटिश सांसद, विदेश मंत्री डेविड लैमी ने जताई कड़ी चिंता
Israel और फिलिस्तीन के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालातों के बीच एक नया विवाद सामने आया है, जब दो ब्रिटिश सांसदों को Israel में कथित रूप से हिरासत में ले लिया गया। इस घटना ने ब्रिटेन में राजनैतिक हलचल मचा दी है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने इस घटना को “गंभीर और चिंताजनक” बताया है और इजरायली अधिकारियों से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है।
कौन हैं ये सांसद?
हिरासत में लिए गए सांसदों में से एक का नाम लेला मोरन बताया जा रहा है, जो कि फिलिस्तीनी मूल की ब्रिटिश सांसद हैं और लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से ताल्लुक रखती हैं। दूसरे सांसद की पहचान अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार वे भी फिलिस्तीन समर्थक रुख के लिए जाने जाते हैं।

बताया जा रहा है कि दोनों सांसद वेस्ट बैंक और गाजा के हालात का जायजा लेने के लिए निजी दौरे पर Israel पहुंचे थे। यह दौरा न तो ब्रिटिश सरकार का आधिकारिक प्रतिनिधित्व कर रहा था और न ही यह किसी राजनयिक मिशन का हिस्सा था।
क्या है मामला?
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों सांसदों को उस समय हिरासत में लिया गया जब वे वेस्ट बैंक के एक संवेदनशील इलाके में स्थानीय नेताओं से मिलने की कोशिश कर रहे थे। इजरायली सुरक्षा बलों ने उन्हें “प्रोटोकॉल का उल्लंघन” करने के आरोप में रोका और कुछ घंटों तक हिरासत में रखा गया।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि सांसदों की गतिविधियों से “क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को खतरा” हो सकता था। वहीं, सांसदों का दावा है कि वे केवल मानवीय स्थिति का आकलन करने गए थे और उनका इरादा किसी भी तरह से कानून तोड़ने का नहीं था।
ब्रिटेन की प्रतिक्रिया
घटना के तुरंत बाद, ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और Israel अधिकारियों से संपर्क साधा। उन्होंने ट्विटर पर एक बयान जारी करते हुए कहा:
“हमें हमारे सांसदों की सुरक्षा की चिंता है। यह घटना अत्यंत गंभीर है और हम Israel सरकार से तत्काल सफाई की मांग करते हैं।”

ब्रिटिश संसद में भी इस मुद्दे को विपक्षी नेताओं द्वारा उठाया गया, और यह मांग की गई कि सरकार इस मामले पर संसद को विस्तृत जानकारी दे।
मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया
हिरासत की खबर फैलते ही कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी चिंता जताई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने इसे “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला” बताया है और मांग की है कि सांसदों को बिना शर्त रिहा किया जाए तथा उन्हें क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी जाए।
Israel की सफाई
Israel सरकार की ओर से अभी तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कुछ सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि “अंतरराष्ट्रीय मेहमानों” को लेकर सुरक्षा प्रोटोकॉल बहुत सख्त होते हैं, खासकर जब वे संघर्षग्रस्त इलाकों में जाने की कोशिश करते हैं।
उनका कहना है कि यह कार्रवाई “कानून के अनुसार” की गई थी और इसका किसी की राजनीतिक पहचान से कोई लेना-देना नहीं था।
राजनैतिक असर
इस घटना ने ब्रिटेन में पहले से ही मौजूद Israel-फिलिस्तीन मुद्दे को लेकर राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा दिया है। लेबर पार्टी और लिबरल डेमोक्रेट्स जैसे विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र और मानवीय अधिकारों पर हमला बताया है।
वहीं, कुछ दक्षिणपंथी नेताओं का मानना है कि सांसदों को ऐसी संवेदनशील यात्रा से पहले उचित सरकारी अनुमति लेनी चाहिए थी।

निष्कर्ष
यह घटना सिर्फ दो सांसदों की हिरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े भू-राजनीतिक मुद्दे की ओर संकेत करती है — जहां मानवीय, कूटनीतिक और राजनीतिक सीमाएं एक-दूसरे से टकराती हैं।
ब्रिटेन और Israel के संबंधों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहस को एक नया मोड़ दे दिया है।
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